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25 मेगावॉट से अधिक की जल विद्युत परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए : मुख्यमंत्री

Byjanadmin

Oct 3, 2018

हिमाचल प्रदेश में सौर तथा जल विद्युत क्षेत्रों में निवेश के लिए निवेशकों का स्वागत

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बुधवार को ग्रेटर नोएडा में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आयोजित द्वितीय वैश्विक पुनर्निवेश नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक मीट एवं प्रदर्शनी में भाग लिया।

जनवक्ता ब्यूरो
मुख्यमंत्री के पूर्णकालिक अधिवेशन में बोलते हुए जय राम ठाकुर ने निवेशकों को हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत और सौर ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश करने का स्वागत किया, क्योंकि राज्य उद्यमी अनुकूल है और ऊर्जा क्षेत्र के विकास में भागीदार बनने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में जल विद्युत की अपार क्षमता है और सत्ता में आने के तुरन्त बाद राज्य सरकार ने जल विद्युत क्षेत्र को पर्यटन में शामिल करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि राज्य के जल विद्युत जलाश्यों को जल विद्युत पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रमुख उद्यमी अनुकूल उपायों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना आवंटित करते समय अग्रिम प्रीमियम की दर को 20 लाख रुपये से घटाकर महज एक लाख रुपये प्रति मेगावॉट किया गया है और जल विद्युत परियोजनाओं के लिए भूमि पट्टे की दर एक रुपया प्रति वर्ग मीटर से भी कम है। उन्होंने कहा कि पहले से ही बिजली पैदा कर रही परियोजनाओं के अलावा आवंटित परियेजनाओं से राज्य सरकार की प्रारम्भिक 12 वर्षों के लिए रॉयल्टी को स्थगित कर दिया गया है और यह अगले 28 वर्षों के दौरान प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में आवंटित परियोजनाओं के मामले में अनुबन्ध अवधि के दौरान 12 प्रतिशत निःशुल्क बिजली समान रूप से एकत्र की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बिजली बेचने के सम्बन्ध में बिजली उत्पादकों की मुख्य समस्या का भी समाधान कर लिया है। उन्होंने कहा कि हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड 25 मेगावॉट तक की सभी जल विद्युत परियोजनाओं से एक निश्चित दर पर बिजली खरीदेगा। उन्होंने कहा कि बिजली की दरें जिन्हें अनुबन्ध के क्रियान्वयन की तिथि से निर्धारित किया जाता था, को अब वाणिज्यिक संचालन की तिथि से तय किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार समस्त जल विद्युत परियोजनाओं को नवीनीकरण ऊर्जा की श्रेणी में शामिल करने के मुददे को उठाती रही है ताकि इन्हें भी नवीनीकरण ऊर्जा परियोजनाओं को दिए जा रहे लाभ मिल सके, क्योंकि वर्तमान में 25 मेगावॉट तक की जल विद्युत परियोजनाओं को इस श्रेणी के अन्तर्गत शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं हरित ऊर्जा का उत्पादन करती है, जो पर्यावरण अनुकूल है। उन्होंने कहा कि यदि यह मांग मान ली जाती है तो राज्य में और अधिक निवेशक आकर्षित होंगे जिससे आर्थिकी और मजबूत होगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को भी बढ़ावा देने की इच्छुक है और स्पिति क्षेत्र में पहले ही 1000 मेगावॉट सोलर पार्कों की पहचान की जा चुकी है और निकट भविष्य में 200 मेगावॉट क्षमता की विभिन्न परियोजनाएं भी प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी को देखते हुए सौर ऊर्जा नीति तैयार की गई है और सरकार केवल हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है और वर्तमान में 90 प्रतिशत उपयोग की गई ऊर्जा स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि राज्य ने थर्मल पॉवर हाउस की स्थापना पर भी प्रतिबन्ध लगाया है।
उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 27000 मेगावॉट जल विद्युत के दोहन की क्षमता है, जो समूचे देश का एक-चौथाई है, जिसमें से 10547 मेगावॉट का 151 परियोजनाओं के माध्यम से दोहन किया जा चुका है। इसके अलावा, 2395 मेगावॉट क्षमता की 63 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, 8000 मेगावॉट क्षमता की 770 परियोजनाओं का आवंटन किया जा चुका है, जबकि 2100 मेगावॉट की बड़ी परियोजनाओं का शीघ्र आवंटन किया जाएगा।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने इण्डिया एक्सपो मार्ट में हिमाचल प्रदेश सरकार के ऊर्जा निदेशालय द्वारा स्थापित हिमाचल पैविलियन का उद्घाटन किया।
ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकान्त बाल्दी, प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना भी इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ मौजूद रहे।

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