राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि देश के प्रमुख कृषि निवेशक राज्य के समूचे प्राकृतिक उत्पादों को डेढ़ गुणा अधिक मूल्य पर खरीदने को तैयार हैं। उन्हांने कहा कि जिस गति से हम आगे बढ़ रहे हैं, शीघ्र ही प्राकृतिक खेती राज्य के रूप में उभर कर सामने आएंगे।
राज्यपाल आज कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कृषि विभाग द्वारा आयोजित छः दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक परियोजना के अन्तर्गत व्यवस्था की गई है कि जो किसान प्राकृतिक खेती को प्रदर्शित करेगा उसे मास्टर प्रशिक्षक बनाया जाएगा और इससे दूसरे किसान भी प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को राज्य सरकार के माध्यम से रियायती मूल्य पर भारतीय नस्ल की गाय प्रदान की जाएंगी जिसके लिए निजी उद्यमियों ने लागत को 50 प्रतिशत वहन करने की इच्छा जताई है। किसानों को गायों को उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी।
राज्यपाल ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती की धारणा को विकसित करने में पदमश्री सुभाष पालेकर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वह वर्तमान समय के सन्त है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसान समुदाय के लिए समर्पित कर दिया और अपने अनुसंधान के माध्यम से उन्होंने समूचे विश्व की सहायता की। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं की ही प्रेरणा से उन्होंने स्वयं खेती के इस तरीके को अपनाया। उन्होंने कहा कि हिमाचल की कृषि भूमि अन्य प्रदेशों से अधिक उपजाऊ है तथा प्राकृतिक खेती के तहत ‘जीवामृत’ और ‘गांजीवामृत’ का उपयोग कर ज़मीन सोना उगलेगी।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसानों को रासायनिक खेती में कोई रूचि नहीं है, क्योंकि यह ज़हरीली है और वे जैविक खेती को भी नही अपना रहे है, क्योंकि यह महंगी होने के साथ-साथ भरोसेमंद भी नहीं है। अब प्राकृतिक खेती एकमात्र विकल्प है, क्योंकि इसमें किसानों को एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और अनेक लाभ हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को अपनाकर हम राष्ट्रीय हित में मानवता से जुड़ा बड़ा कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने प्राकृतिक खेती पर विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के तथ्यों तथा परिणामों के आधार पर प्राकृतिक खेती के विभिन्न लाभों का विवरण दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान तथा इसका परिणाम देने का आग्रह किया ताकि सच्चाई प्रत्येक के समक्ष आ सके।
पदमश्री सुभाष पालेकर, शून्य लागत प्राकृतिक खेती के परियोजना निदेशक राकेश कंवर, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. अशोक सरयाल, कृषि निदेशक डॉ. देश राज शर्मा, पुलिस अधीक्षक कांगड़ा सन्तोष पटियाल, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा छः जिलों के किसान इस अवसर पर उपस्थित थे।