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जलवायु परिवर्तन के साथ सतत् विकास एवं बेहतर कृषि पर मंथन

Byjanadmin

Oct 4, 2018


जनवक्ता ब्यूरो सोलन
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, बागवानी तथा सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कृषि वैज्ञानिकों तथा सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे पर्वतीय क्षेत्रों में सतत् विकास के साथ बेहतर कृषि तथा जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बेहतर उपज विषय पर गहन चिंतन एवं विचार-विमर्श करें ताकि आने वाले समय में इससे पर्वतीय क्षेत्र लाभान्वित हो सकें। महेंद्र सिंह ठाकुर गत सांय शूलिनी विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन का शुभारंभ करने के उपरांत उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों, वरिष्ठ सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारियों तथा छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में कृषि अनेक कारकों पर निर्भर करती है। इन क्षेत्रों में विविध जलवायुगत परिस्थितियों एवं बदलते उत्पादक क्षेत्रों के अनुसार कृषकों एवं बागवानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अनेक बार पहाड़ों में कृषि एवं बागवानी से होने वाली आय आजीविका के लिए भी कम पड़ती है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार सहित कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।

बागवानी मंत्री ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकी तथा समय पर प्राप्त परामर्श एवं कर्मठ कृषकों के द्वारा हिमाचल प्रदेश में व्यावसायिक खेती एवं बागवानी पर विशेष बल दिया जा रहा है। किन्तु समय के साथ हो रहे जलवायुगत परिवर्तनों तथा मौसम में आ रहे बदलाव के कारण कृषकों एवं बागवानों को अनेक नवीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक अधिकारी मिलकर ऐसी नीति तैयार करें जो पहाड़ के सतत् विकास में सहायक हो और इसके माध्यम से आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसानों-बागवानों को बंदरांे एवं अन्य जानवरों के उत्पात तथा विभिन्न कारणों से उन्नत सिंचाई सुविधाओं की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि फसलांे को बंदरों एवं जंगली जानवरों से बचाने के ठोस उपाय सुझाएं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों को हिमाचल जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले प्रदेश में सिंचाई की उन्नत एवं सस्ती तकनीकें विकसित करने पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है। एक ओर जहां हिमाचल में शून्य बजट आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं हिमाचल को जैविक राज्य बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार की योजनाओं को वैज्ञानिकों का साथ मिलना आवश्यक है।

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कृषि वैज्ञानिकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे वर्षा जल संग्रहण को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि पहाड़ में वर्षा जल संग्रहण जल की कमी से निपटने का बेहतर साधन है। उन्होंने मिट्टी की किस्म के अनुरूप फसल चयन की दिशा में आगे बढ़ने का भी आग्रह किया।

बागवानी मंत्री ने आशा जताई कि इस तीन दिवसीय चिंतन सम्मेलन से हिमाचल सहित सभी पर्वतीय राज्य लाभान्वित होंगे। सम्मेलन राज्य सरकार को सतत् विकास एवं उपलब्ध भूमि से वैज्ञानिक माध्यम से अधिक उपज लेने के उपाय सुझाने में सफल रहेगा।

शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति पीके खोसला ने सभी का स्वागत किया तथा तीन दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत जानकारी प्रदान की।

तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किया जा रहे हैं।

सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव विनीत चौधरी, देश के 11 पर्वतीय राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिक एवं सेवारत तथा सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी तथा छात्र उपस्थित थे।

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