जनवक्ता ब्यूरो शिमला
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज यहां हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित करते हुए सुझाव दिया कि केन्द्र में हिमालयी राज्यों के एक समान मामलों को सुलझाने के लिए अलग मंत्रालय गठित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों के मामले व चुनौतियां मैदानी क्षेत्रों से पूरी तरह भिन्न हैं।
उन्होंने कहा कि पहली बार इस गम्भीर विषय पर चिन्तन व समाधान की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि आज हम वैश्विक ऊष्मीकरण पर चर्चा करते हैं, जबकि इसका मुख्य कारण रासायनिक खेती है। उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि विभिन्न विभागों व संस्थानों द्वारा रासायनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, हालांकि वे इस तथ्य से परिचित हैं कि कम्पनियों द्वारा तैयार किए जा रहे रासायनिक उत्पाद प्रदूषण व वैश्विक ऊष्मीकरण के लिए जिम्मेदार हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उनका अपना अनुभव रहा है कि केवल प्राकृतिक खेती ही अनुकूल है और हरियाणा स्थित गुरूकुल के खेतों से प्राप्त वैज्ञानिक आंकड़ों से इसकी पुष्टि हुई है। यहां की भूमि का जैविक कार्बन में .3 से .9 की वृद्धि हुई है और यह प्राकृतिक खेती से सम्भव हो सका है।
उन्होंने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का प्रदेश में प्राकृतिक खेती प्रणाली को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उनके नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है वे इस प्रणाली पर संतोष जताया है।