जनवक्ता ब्यूरो शिमला
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज हरियाणा के कुरूक्षेत्र में गुरूकुल में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि पर आयोजित किसानों की कार्यशाला के दौरान सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि वैज्ञानिकों की जानकारी के अनुसार प्रमुख कृषिक उत्पादक राज्यों की भूमि की स्थिति खराब हो रही है, जिसे केवल शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के द्वारा पुनः स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सन्तोष की बात है कि हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक इत्यादि राज्यों ने इस दिशा में कार्य आरम्भ कर दिया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन मोहपात्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर प्राकृतिक कृषि विभाग को स्थापित किया जाएगा ताकि इस दिशा में अनुसंधान किया जा सके।
पदमश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि लोग रासायनिक कृषि से उक्ता गए हैं तथा जैविक कृषि भी रासायनिक कृषि से कम हानिकारक नही है। उन्होंने कहा कि रासायनिक कृषि को केवल शून्य लागत प्राकृतिक कृषि से बदला जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर रासायनिक, जैविक तथा प्राकृतिक कृषि में तुलनात्मक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पूर्व, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन मोहपात्रा, हिमाचल प्रदेश के उच्च अधिकारियों तथा लगभग 80 किसानों ने 180 एक्ड़ भूमि में विकसित किए गए गुरूकुल फार्मों का दौरा किया।
राज्यपाल ने विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों, अधिकारियों तथा किसानों को गुरूकुल के शून्य लागत प्राकृतिक कृषि मॉडल के बारे अवगत करवाया।
प्रधान सचिव कृषि आेंकार शर्मा, उपायुक्त लाहौल-स्पिति अश्वनी कुमार, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा किसानों ने गुरूकुल फार्म का दौरा किया तथा कृषि मॉडल से प्रभावित हुए।