कहा…….बच्चों को नशे से दूर रखने में अभिभावकों तथा शिक्षकों की अहम भूमिका
जनवक्ता ब्यूरो धर्मशाला
जिलाधीश कांगड़ा संदीप कुमार ने स्वरोजगार सृजन की अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कॉलेजों-स्कूलों के अध्यापकों से युवाओं को स्वरोजगार लगाने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर देने को कहा है। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार जैसी गतिविधियों की ओर युवाओं का रूझान बढ़ाने और उन्हें इनसे जुड़ने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास आवश्यक हैं। इनसे उनकी ऊर्जा सही दिशा में उपयोग में लाई जा सकेगी और उन्हें नशे की गिरफ्त से फसंने से भी बचाना संभव होगा। वे आज धर्मशाला में राजकीय महाविद्यालय के सभागार में नशीली दवाओं के दुरूपयोग पर संवेदनशीलता बढ़ाने तथा नशे के दुष्प्रभावों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे। कार्यशाला का आयोजन कांगड़ा जिला प्रशासन नेे क्षेत्रीय संसाधन एवं प्रशिक्षण संस्थान गुंजन के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया।
संदीप कुमार ने कहा कि युवा देश का भविष्य है। युवा वर्ग यदि स्वस्थ, सशक्त होगा तभी देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि कई बार युवा पीढ़ी आधुनिक दिखने की होड़ में नशे को अपना लेती है। इन सब अवस्थाओं में जीवन से भटक कर मनुष्य गलत आदतें अपना लेता है। उन्होंने कहा कि नशा एक धीमा जहर है जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर करता है। इसके लगातार सेवन से व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है। नशा कोई भी हो, वह व्यक्ति के शारीरिक एवं बौद्धिक विकास व स्मरण शक्ति को क्षीण बनाकर उसकी रचनात्मकता को दुर्बल बनाता है। उन्होंने बच्चों से नशे से दूर रहने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि नशे के सेवन से व्यक्ति सदैव चिन्तित व उदासीन रहता है तथा हाथों में पसीना, अकेले में रहने की प्रवृति, भूख न लगना, वजन कम होना, आंखों में लाली, सूजन का होना, आवाज का लड़खड़ाना, शरीर में इन्जेक्शन लगाने के निशान तथा कपडे़ मे रक्त के धब्बे, उल्टी आना, शरीर में दर्द रहना, चक्कर आना, सुस्त रहना, अत्यधिक नींद आना, थकान एवं चिडचिड़ापन, याददाशत कमजोर होने, काम में मन न लगना, दैनिक कार्यो और खेलकूद में रूचि कम होना मुख्य रूप से नशे के ही लक्षण है।
उपायुक्त ने कहा कि नशे के सेवन से शारिरक विकार जैसे मुंह, गले, लीवर, फेफड़े, दिल, गुर्दे व त्वचा में संग्रमण हो सकता है। इसके अतिरिक्त मुंह, गले, आंत, लीवर व फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। नशा परिवारिक कलह व झगड़ों को जन्म देता है। नशे के सेवन वाला व्यक्ति चोरी, डकैती, व्यभिचार, तस्करी जैसे अपराधों में संलिप्त हो जाते हैं तथा समाज ऐसे व्यक्तियों की गणना बुरे व्यक्तियों में करता है जिससे व हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। धुम्रपान से जहां कैंसर, सांस का रोग, दमा, खांसी इत्यादि, हृदय रोग तथा गैंगरीन जैसे लाईलाज रोग पैदा होते हैं, वहीं बीड़ी, सिगरेट से फैलने वाले धुएं से अप्रत्यक्ष रूप से गर्भवती महिलाएं व मासूम बच्चे भी भयानक रोगों की चपेट में आ जाते हैं।संदीप कुमार ने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए अभिभावकों का अहम रोल होता है। माता-पिता को चाहिए की वह बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखें तथा उनके साथ अधिक से अधिक समय बिताएं तथा बच्चों व उनके साथियों की गतिविधियों पर पूरा-पूरा ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि अभिभावक घर का माहौल सकारात्मक बनाएं ताकि बच्चे घर में ही खुश रह सकें। बच्चों की भावनाओं व रूचियों का पूरा-पूरा ध्यान रखें। मां-बाप को चाहिए कि वह बच्चों के लिए आदर्श बनें तथा जहां तक संभव हो सके नशे का सेवन न करें। उन्होंने कहा कि अभिभावक बच्चों से नशे से होने वाली बीमारियों बारे विस्तार से चर्चा करें ताकि बच्चों को नशे से होने वाली बीमारियों का ज्ञान हो सके। यदि बच्चा नशे का शिकार है तो तुरन्त डाक्टर से परामर्श लें। समय पर उपचार से नशे से मुक्ति पाई जा सकती है।
उपायुक्त ने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने में शिक्षकों की भी अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षक छात्र-छात्राओं से खुलकर अनौपचारिक बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं की गतिविधियों में खुद भी संलग्न रहें और उनकी अभिरूचियों में भी दिलचस्पी रखें। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि युवावस्था की शरूआत से सम्बन्द्ध मुद्दों पर अपने छात्र-छात्राओं के साथ चर्चा करें और यदि कोई समस्या हो तो निपटने का सुझाव दें तथा उनके करियर का चुनाव करने और वास्तविक लक्ष्य तय करने में सहायता और मार्गदर्शन करें।
इससे पूर्व राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य तथा नोडल अधिकारी सुनील मेहता ने मुख्यातिथि का स्वागत किया।
इस दौरान उपायुक्त ने गुजंन के सभी पदाधिकारियों का इस मुहिम में बढ़चढ़ कर सहयोग देने के लिए धन्यावाद किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय से सोनम देचन ने नशीली दवाओं के दुरूपयोग की रोकथाम तथा नशे से सम्बन्धित अन्य मुद्दों पर विस्तार से बताया।
गुजंन के निदेशक विजय कुमार ने मंच का संचालन किया तथा दवाओं के सेवन से होने वाले नुकसान, निकासी लक्षणों और उपचार सेवाओं, नशे से बच्चो को दूर रखने में परिवार, शिक्षण संस्थानों, सामुदायिक आधारित, गैर सरकारी, पावर रिएक्टर सूचना प्रणाली संगठनों की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस दौरान नशे से होने वाले प्रभावों पर फिल्म दिखाई गई।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक संतोष पटियाल, उपनिदेशक उच्च शिक्षा के.के.शर्मा, उपनिदेशक प्रारम्भिक शिक्षा दीपक किनायत, सामाजिक उत्थान संस्था गुजंन के संस्थापक संदीप परमार सहित शैक्षिणक संस्थानों के प्रमुख, पीटीए अध्यक्ष व छात्र प्रबन्धन समितियों के सदस्य, गुंजन के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।