विकास एवं सुशील पुंडीर ने किया किरदार से पूरा न्याय
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
जब किसी व्यक्ति में अहंकार आ जाता है तो तप और तेज किसी काम के नहीं रहते, यह संवाद जब भगवान शंकर के अनुचर नंदी ने लंकाधिपति रावण से कहे तो समूचा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौका था बिलासपुर की ऐतिहासिक राम नाटक के शुभारंभ के बाद मंचन के पहले दिन का। हल्की हल्की ठंड के बावजूद इस पारंपरिक धार्मिक कार्यक्रम के साक्षी बनने के लिए लोग दूरदराज के क्षेत्रों से बिलासपुर पहुंचे थे। वहीं कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी ने उन्हें निराश नहीं किया। बुधवार शाम को बिलासपुर नगर के डियारा सेक्टर में हर साल आयोजित होने वाली श्री राम लीला का शुभारंभ समिति के प्रधान नरेंद्र पंडित ने कर कमलों से हुआ। आश्विन नवरात्रों की प्रथम संध्या में ऐतिहासिक श्री राम नाटक मंचन का अवलोकन करने के लिए नगर परिषद प्रांगण में अप्रत्याशित भीड़़ उमड़ी थी। पहले दृश्य में रावण के अत्याचारों से भयभीत सभी देवी देवता बैकुंठ नाथ विष्णु के समक्ष न्याय की गुहार लगाने पहुंच जाते हैं।
संध्या के तीसरे दृश्य में मातृपितृ भक्त श्रवण कुमार के मार्मिक दृश्य की प्रस्तुति से दर्शकों की आंखे नम हो गई। समिति के वरिष्ठ कलाकार सुशील पुंडीर ने दशरथ का अभिनय निभाया जबकि श्रवण के रोल में विकास पुंडीर ने अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। अभिषेक डोगरा ने शांतनू तथा अमन गुप्ता ने ज्ञानवती का किरदार निभाया। चौथे दृश्य में कामांध रावण वेदवती से प्रेमालाप करता है और उसे बलपूर्वक पाने का प्रयत्न करता है। लेकिन वेदवती रावण को श्राप देकर गोलोक सिधार जाती है।