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बिलासपुर के इतिहास में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का शास्त्रीय संगीत

Byjanadmin

Oct 12, 2018


रितेश मिश्र और रजनीश मिश्र

बनारस घराने के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रितेश मिश्र और रजनीश मिश्र आमंत्रित

हिमालयन कला एवं सांस्कृतिक परिषद बिलासपुर द्वारा किया गया आयोजन

संगीत विशेषज्ञ रहे श्याम ठाकुर की पुण्यतिथि पर स्वरोत्सव नाम दिया गया

जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
बिलासपुर के इतिहास में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के शास्त्रीय संगीत के गायकों को आमंत्रित किया गया है और यह आयोजन हिमालयन कला एवं सांस्कृतिक परिषद बिलासपुर द्वारा किया गया है जिसे स्वरोत्सव नाम दिया गया है । इस कार्यक्रम में बनारस घराने के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दो भाइयों रितेश मिश्र और रजनीश मिश्र को आमंत्रित किया गया है।

पत्रकार वार्ता करते हुए विद्यासागर व गोविंद घोष


पत्रकार वार्ता करते हुए शालिनी शर्मा

बिलासपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए इस संस्था के संयोजक गोविंद घोष और पंडित विद्यासागर ने बताया कि यह आयोजन संगीत के क्षेत्र में उनके गुरु संगीत विशेषज्ञ रहे श्याम ठाकुर की पुण्यतिथि पर किया जा रहा है। इसे बिलासपुर में हर साल 12 अकटूबर को ही आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में युवाओं को जोड़ने के बारे में उन्होंने बताया कि जिस तरह से युवा नशे की ओर भाग रहे हैं उन्हें रोकने के लिए तथा उन्हें संगीत की ओर जोड़ने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का होना बहुत जरूरी है। पत्रकार वार्ता में शालिनी शर्मा ने बताया कि श्याम ठाकुर के शिष्य पंडित विद्यासागर ने यह कार्य कुल्लू में बखूबी संभाला हुआ है वहीं बिलासपुर में अब इसकी शुरुआत उन्हीं के शिष्य गोविंद घोष ने निरंतर बनाए रखने की घोषणा भी की है । इस अवसर पर बनारस घराने से आए रितेश मिश्र और रजनीश मिश्र ने कहा कि नशे की ओर युवा न मुड़े इसलिए उन्हें संगीत से जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि संगीत आत्मा का भोजन है । उन्होंने बताया कि बिलासपुर प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक शहर है और ऐसे माहौल में शास्त्रीय संगीत हो तो उसमें अलग ही ऊर्जा मिलती है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस संस्था ने इस आयोजन को युवाओं से जुड़ा है वह भी काबिले तारीफ है। उन्होंने बताया कि आज किसी भी गीत की रचना होती है वह किसी न किसी राग पर आधारित होती है और राग ही शास्त्रीय संगीत का आधार है इसलिए इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

चार सौ साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं रितेश मिश्र और रजनीश मिश्र

चार सौ साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इन दोनों भाईयों रितेश और रजनीश को संगीत जगत में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है। बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा जी पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी। साजन जी का विवाह पंडित बिरजू महाराज की पुत्री- ‘कविता’ से हुआ था और राजन जी का विवाह पंडित दामोदर मिश्र की पुत्री- ‘बीना’ से हुआ था ! आज राजन जी के सुपुत्र – रितेश और रजनीश भी सफल गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं ! साजन जी का पुत्र – ‘स्वरांश’ भी निरंतर संगीत साधना में रत है ! किशोरावस्था में 1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया। आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है ! ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाईयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया। इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं। वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी फिल्मों के संगीत निर्देशन के सम्बन्ध में कभी अपनी रूचि नहीं दिखाई, किन्तु अभी लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- ‘तेरा देश, मेरा देश’ के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।

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