रावण ने छदम वेश में सीता का हरण किया
लक्ष्मण का रोष पूर्ण किरदार देखने लायक था
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
देवी जोगी बंधन मुक्त हुआ करते हैं, समय और प्रतीक्षा की घडिय़ां इन्हें नहीं बांध सकती, ये द्वार नहीं तो कोई अन्य द्वार सही, माता जानकी को चुराने आए रावण ने जब यह संवाद प्रस्तुत किए तो समूचा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।
रावण का अभिनय कर रहे वरिष्ठ कलाकार बृजेश कौशल के दमदार अभिनय के सभी कायल दिखे। इस दृश्य को देखने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से लोग नगर परिषद के प्रांगण में बिलासपुर पहुंचे थे। रावण ने छदम वेश में सीता का हरण किया। राम व लक्ष्मण जब पंचवटी वापिस लौटे तो सीता को वहां न पाकर अधीर हो गए। पत्नी के खो जाने की व्याकुलता को राम बने नवीन सोनी बड़ी शिद्दत से निभाया जबकि लक्ष्मण का रोष पूर्ण किरदार देखने लायक था। मंचन के अगले दृश्यों में जटायू वध तथा भगवान राम और लक्ष्मण का लौटना दिखाया गया। जानकी की खोज में जब दोनो भ्राता आगे के लिए कूच करते हैं तो मंतग ऋषि के आश्रम को सं ााल रही शबरी से प्रभु राम व लक्ष्मण से भेंट होती है। शबरी प्रभु राम का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से भेंट करने का आग्रह करती है। इसी बीच उनकी मैत्री हनुमान से होती है। हनुमान जी उन्हें अपने राजा सुग्रीव के पास ले जाते हैं। वहां राम सुग्रीव की पत्नी रोमा का उद्धार करने के लिए बाली का संहार करते हैं।
बाली का अभिनय कर रहे संदीप गुप्ता की अदाकारी को देखने के लिए दर्शक देर रात तक पंडाल में डटे रहे। इस संध्या में राम का अभिनय नवीन सोनी, लक्ष्मण का रिशु शर्मा ने, सीता का कार्तिक शर्मा, जटायू शुभम किग्गा, सुग्रीव गिरीश, शबरी रिंपी, साधु राजेंद्र चंदेल, दधिबल शेर बहादुर, बाली का संदीप गुप्ता, जामवंत बने अंशुल प्रजापति और हनुमान बने सुशील पुंडीर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया।