कमेटियों को बाईपास करके कार्य ठेकेदारों द्वारा करवाना पंचायतीराज की मूल भावना के खिलाफ
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
प्रदेश पंचायती राज विभाग द्वारा प्रदेश की सभी पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों को ई-टेंडरिंग से करवाए जाने के फरमान को लेकर जनप्रतिनिधि बिफर गए हैं। विभाग का तर्क है कि पंचायतों के पास पूर्व की जो राशि बकाया है, उसके लिए टेंडर से राशि व्यय करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इस प्रक्रिया से पंचायतों में लोगों की सहभागिता नहीं मिल पाएगी। टेंडर प्रक्रिया होने की स्थिति में पांच से छह महीने तक जमीन संबंधी औपचारिकताएं भी पूरी नहीं होंगी। वहीं प्रैस को जारी बयान में ग्राम पंचायत डोभा की प्रधान वंदना देवी, पंजैल के प्रधान बाबू राम, रानीकोटला की प्रधान माया देवी, सिकरोहा के प्रधान जय प्रकाश, छकोह के प्रधान जोगेंद्र चंदेल, दयोली के प्रधान प्यारे लाल, मैथी के प्रधान कमल, उपप्रधान श्याम लाल ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए कामों को टेंडर प्रक्रिया से करवाने से काम की गुणवत्ता पर सवाल उठेंगे। जिन विभागों में टेंडर प्रक्रिया है उन विभागों में भी राशि पैंडिंग पड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि संबंधित स्टाफ के अभाव में तथा जनता के दबाव में काम कर रहे जनप्रतिनिधियों की कठिनाईयों को नजरअंदाज किया जा रहा है। बावजूद इसके भी काम किए जा रहे हैं, कुछ कामों का पैंडिग रह जाना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि टेंडर के मामले में ग्राम सभा में बनी कमेटियों को बाईपास करके कार्य ठेकेदारों द्वारा करवाना पंचायतीराज की मूल भावना के खिलाफ है। जनप्रतिनिधियों ने सरकार और पंचायतीराज विभाग से मांग की है कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया किसी लिहाज से किसी के भी हित में नहीं है लिहाजा इस प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए।