बिलासपुर में मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
ज़िला भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में किया गया। सर्वप्रथम साहित्यिकारों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नीलम चन्देल ने की तथा मंच का संचालन श्रीमती कविता सिसोदिया द्वारा किया गया सर्वप्रथम जीतराम सुमन द्वारा मां की वंदना प्रस्तुत की गई। इसके उपरान्त पिछले दिनों स्वर्गवास हुए साहित्यकार प्रेम टेसू को मौन रखकर सभी साहित्याकारों द्वारा श्रदांजली दी गई जिनका ह्दयगति रूकने से देहान्त हो गया था। संगोष्ठी के आरम्भ में साहित्यकार -एस आर आजाद ने दूसरों के घर न कभी झांककर के देखो, अपने अन्दर भी कभी झांक कर के देखो। प्रदीप गुप्ता ने ‘‘ राजनीति‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी- नेताओं ने फैला रखा है चारों तरफ अपना माया जाल, कर न पाता कोई भी बांका उनका बाल। रविन्द्र भट्टा ने जिन्दगी भी अनेक खेल रचती है, कभी गुनाहगारों को सजा और कमी माफ करती है। हुसैन अली द्वारा ‘‘ आदत है जमाने को दिल रखने की, कह दे जो साफ वो महरवां अच्छा ‘‘। सत्या शर्मा ने ‘‘ नारी ‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी- नारी तम्हारे सिन्धु से ह्दय की कोई थाह नहीं, औरों की खुशियांे में अपनी खुशी सहेजना। कौशल्या देवी ने ‘‘ जल गया रावण ‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी- 19 की शाम को जल गया रावण, काम का्रेध मोह, लोभ व अहंकार का रावण, पर कब जलेगा बुराई -भ्रष्टाचार का रावण। सुरेन्द्र मिन्हास ने ‘‘ मारी दित्ते दुश्मन चुगी -चुगी ने सारे, घायल फौजी भी मारे ललकारे। जीत राम सुमन ने ‘‘ टैम लगेया जगाणे तिज्जो ‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी- बौता सोणा छड्ड तू अडिए, हुण टैम लगेया जगाणे तिज्जों, तू बदल सोच हुण जागी जा, ये कंद्दां पौणियां हटाणे तिज्जो‘‘। कविता सिसोदिया ने ‘‘ मन का अन्धेरा‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी-दीपावली के साथ कई यादें ताजा हो गई, अतीत में जाकर संयुक्त परिवार में खो गई।
इस अवसर पर ज़िला भाषा अधिकारी ने सभी साहित्यकारांे का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कवि और लेखक समाज को सकारात्मकता का भाव देते है जिससें समाज में संस्कृति ,संस्कार व नैतिक मूल्यों का समावेश होता है ।इसके अतिरिक्त उन्होंने विभागीय योजनाओं की जानकारी भी दी। संगोष्ठी में इन्द्र सिंह चन्देल, कान्ता देवी, प्यारी देवी, अमर सिंह तथा नीता कुमारी , वनीता, प्रियादशर्नी शर्मा भी श्रोताओ के रूप मे उपस्थित रहे।