प्रमुख मांगो को सुलझाने में स्थानीय नेता और प्रदेश सरकार पूर्णतया असफल
संसदीय चुनाव में दोनों ही प्रमुख दलों को लोगों के गुस्से का करने पड़ेगा सामना
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री नडडा भी बिलासपुर के लिए कुछ खास नहीं कर पाये
राजनैतिक संवाददाता, बिलासपुर
लोकसभा चुनावों को कुछ महीने का समय बाकी है लेकिन बिलासपुर जिले में चल रही राजनैतिक शीत लहर दर्शा रही है कि प्रमुख मांगो, समस्याओं और कठिनाइयों को सुलझाने में स्थानीय नेता और प्रदेश सरकार के पूर्णतया असफल रही है। चर्चा में है कि संसदीय चुनाव में दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और विशेष तौर पर भाजपा के नेताओं को इस बार लोगों के गुस्से का सामना करने से रोक पाना कठिन होगा क्योंकि भाजपा केंद्र और प्रदेश में सत्ता में है। बिलासपुर में तो यह भी चर्चा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा बिलासपुर जिला से होने के बावजूद भी बिलासपुर के लिए कुछ खास नहीं कर पाये हैं और 15-20 वर्षों की लम्बी योजना-एम्स का शिलान्यास करके चुनावी नया पार करने की आशा पर ही भाजपा की जीत सुनिश्चित मान कर चले हैं। हालांकि वह बिलासपुर के लिए बहुत कुछ कर सकते थे और कईयों को रोजगार दिला सकते थे लेकिन उन्होंने बिलासपुर की समस्याएं दूर करने की कसम खा ली है और केवल त्याहारों में ही अपना चेहरा लोगों को दिखाने के लिए आ जाते हैं। समाज के विभिन्न वर्गों और वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि विधान सभा चुनाव से पूर्व दोनों ही दलों के नेताओं ने जनता से लुभावने वायदों के बल पर वोट प्राप्त किये थे ,इसलिए जहां सत्तासीन हुए भाजपा नेताओं का दायित्व था कि उन वायदों पर अमल करके लोगों को राहत पहुंचाते, वहीं विरोधी दल के हारे हुए नेताओं का भी दायित्व था कि उनके द्वारा किये गए वायदों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के अतिरिक्त सत्ता प्राप्त करने वाले दल को किये गए वायदों को पूरा करने के लिए जन आन्दोलन खडा करके जनता से हो रहे भारी अन्याय को समाप्त करवाने की भूमिका निभाते और जनता का विशवास जीत कर संसदीय चुनाव में पूरी तैयारी के साथ जुट जाते । किन्तु इस मामले में दोनों ही दल लोगों को राहत पहुंचाने और उनका दिल जीतने में असफल रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि पिछले चुनाव के समय ये नेता अपने आप को सबसे बड़ा जनसेवक बता कर लोगों के वोट प्राप्त करने में तो सफल हो गए थे ,किन्तु उसके बाद जनता की कोई सुध नहीं ली और उनकी पूरी अनदेखी करके उन्हें भगवान् भरोसे छोड़ दिया गया है । बिलासपुर जिले के हाइड्रो इन्जिनीयरिंग कालेज, एम्ज, बाघछाल पुल और बैरी दडोलां पुल निर्माण तथा भाखड़ा डैम विस्थापितों के उचित बसाव करने , बिलासपुर के जंगल ब्रांस में हवाई पट्टी का निर्माण करने और जिला अस्पताल में समुचित स्टाफ व डाक्टर नियुक्त करने के साथ इलाज की सुविधा दिलाने तथा नगर की वाहन पार्किंग स्थलों का निर्माण करवाने आदि की कुछ ऐसी प्रमुख मांगे हैं जो निरंतर अधर में लटकी होने के कारण , लोगों में सरकार के प्रति भारी रोष व आक्रोश पैदा किये हुए है । नागरिकों का कहना है कि पांच वर्ष पूर्व केन्द्रीय सरकार के वितीय सहयोग से कलोल में झंडूता विधान सभा क्षेत्र में बहुतकनीकी संस्थान के भवन का शिलान्यास किया गया था जो अभी तक भी अधूरा पडा हुआ है । जिस कारण इस संस्थान को भवन न होने के बहाने इसकी कक्षाएं अन्यत्र हमीरपुर में ही चलाई जा रही हैं । जिला के सत्ताधारी नेता अब उसी तरह हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज की कक्षाएं जिले में यहाँ शुरू करवाने में असफल रहे हैं और भवन तथा इसके लिए जरूरी साधन उपलब्ध न होने के बहाने इसे अभी भी नगरोटा बगवां में चलाया जा रहा है । हालांकि प्रधानमंत्री ने इसका शिलान्यास यहाँ बिलासपुर में बंदला में किया था ।आम जनता का कहना है कि द्य लोगों का कहना ही कि इस बार इन मांगों और समस्याओं को लेकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को जनता को बताना होगा कि वह अब किस आधार पर उनसे वोट मांगने की चेष्टा कर रहे हैं द्य कुल मिला कर इस बार चुनाव लड़ने वाले दोनों ही दलों के नेताओं को जनता का सामना करना बहुत कठिन लग रहा है ।