जनवक्ता परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि
सुरेश सेन निशांत
हिमाचल के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कवि सुरेश सेन निशांत नहीं रहे कविता के क्षेत्र में आज अनेक महत्वपूर्ण कवि सक्रिय हैं लेकिन सुरेश सेन निशांत ऐसे कवि थे जो सुदूर हिमाचल के पर्वतीय अंचल में रहते हुए भी लगातार सृजनरत रहे। उनकी कविताएँ चोंचलेबाजी से दूर उस सामान्य जन की कविताएँ हैं जो लगातार हाशिये पर रहा है। निशान्त में उस हाशिये को जानने की एक ललक हर समय दिखाई पडी । ‘वे जो लकडहारे नहीं हैं’ नामक उनका कविता संग्रह काफी चर्चित रहा है।
आपको नई पत्रिका चाहिए क्या ?
मंडी शहर की विभिन्न गलियों व साहित्यिक सभाओं में पहुंचते ही अपने मिलने वाले परिचितों के कानों में यही आवाज अब नहीं आया करेगी। जी हां अब इस आवाज के मालिक हमें छोड़ कर परम धाम चले गए हैं। आज हर बात याद बन कर रह गई है क्योंकि कवि सुरेश सेन निशांत अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। याद आती है कि हर मिलने वाले साहित्यकार से निशांत यही पूछा करते आपको नई पत्रिका चाहिए क्या ? उनके झोले में हर वक्त कोई न कोई साहित्यिक पत्रिका का ताजा अंक मौजूद रहता था। कहा जा सकता है कि वह मंडी तभी आते थे जब दो-चार साहित्यिक पत्रिकाओं के नए अकं उनके पास पहुंच जाते थे। आज भले ही साहित्य की पत्रिकाएं आम आदमी की पहुंच से दूर हो गई हैं। अच्छा और गंभीर साहित्य पाठकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। मगर इसके बावजूद साहित्य को लेकर चर्चित कवि सुरेश सेन निशांत इस संक्रमण काल में भी साहित्य को लेखकों और पाठकांे तक पहुंचाने की जिद पाले रहे। इनके पास से कई साहित्यकारों ने पहल से लेकर नया ज्ञानोदय, कथादेश, वसुधा, तद्भव, वागर्थ, परिचय, समयांतर, जनपथ , आधारशिला समेत कई पत्रिकाओं को लेकर पढ़ा है।
सुरेश सेन निशांत
जन्म 12 अगस्त 1959 देहावसान 22 अक्टूबर 2018
स्थान सुंदरनगर
इनकी कविताएं पहल, वसुध, हंस, कथाक्रम, आलोचना, कथादेश, कथन, कृतिओर, सूत्रा, सर्वनाम, नया ज्ञानोदय, वर्तमान साहित्य, लमही, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, परिकथा, बया, आधारशिला, आकंठ, उदभावना, कृत्या, संबोध्न, साखी, उन्नयन, पक्षधर, जनसत्ता, रसरंग दैनिक भास्कर आदि में प्रकाशित हुई हैं।
शिक्षा: दसवीं तक पढ़ाई के वाद विद्युत संकाय में डिप्लोमा। वर्तमान में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत।
पुरस्कार और सम्मान:
प्रफुल्ल स्मृति सम्मान,
सूत्र सम्मान
साहित्य अकादमी सम्मान
—अरूण डोगरा रीतू