जनवक्ता ब्यूरो दिल्ली
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज नई दिल्ली के रोहिणी में आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया, में संबोधित करते महान विचारक और सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं का अनुसरण करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण, शिक्षा के अधिकार और समाज की बेहतरी के लिए वैदिक संस्कृति को बढ़ावा दिया।
राज्यपाल ने कहा कि स्वामी दयानंद ने समाज में प्रचलित कई सामाजिक बुराइयों का जोरदार विरोध किया और उनका शिक्षा, विशेष तौर पर कन्या शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद से प्रेरणा लेते हुए डीएवी और गुरुकुल के माध्यम से आर्य समाज अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आचार्य देवव्रत ने कहा कि समाज में मानवता का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां स्वामी ने चेतना का काम नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि हम महर्षि दयानंद के मिशन को आगे बढ़ाकर एक मजबूत समाज के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य भारत और उसके युवाओं की दिशा तथा वेदों की शिक्षा को कैसे लोगों तक पहुंचाया जाए, ये तय करना है। इसके अलावा, भारतीय नस्ल की गाय पालने पर भी विचार किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी दयानंद ने किसानों को राजाओं के राजा की संज्ञा दी है, लेकिन आज देश के किसान चिंतित हैं और हमें उनकी परिस्थितियों में सुधार लाने के बारे में चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हम स्वामी दयानंद की विचारधारा को जनता तक ले जा सकते हैं।