देशी विदेशी युवा पायलटों ने सफल उड़ानें भरी
बिलासपुर में हुआ तीसरा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पैराग्लाईरों का एसआईवी कोर्स
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
बिलासपुर का आसमान इन दिनों देसी और विदेशियों पैराग्लाईडर पायलटों की उड़ान से गुलजार रहा। बंदला धार में पैराग्लाईडिंग करने आए देशी विदेशी युवा पायलटों ने सफल उड़ानें भरी। रंग बिरंगे पैराग्लाईडर आसमान में हवा से बातें करते नजर आ रहे हैं। मौका है बिलासपुर में तीसरे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर केे पैराग्लाईरों केे एसआईवी कोर्स का। इस प्रशिक्षण शिविर को मास्टर ट्रेनर सेवानिवृत एयर फोर्स फाईटर अभि मलिक ने लीड किया। यह पैराग्लाइडिंग संबंधी विशेष प्रशिक्षण शिविर 23 अक्तूबर से 26 अक्तूबर तक बिलासपुर में चला। बंदला धार से उड़ानें भर कर पायलटों ने लुहणू मैदान में सफल लैडिंग की, और यहां की परिस्थितियों की भूरि- भूरि प्रशंसा की। टैंपल पायलट के पायलटों ने इन चार दिनों में तीन बार प्रतिदिन सफल उड़ाने भरी। आसमान रंग बिरंगे पैराग्लाईडरों से गुलजार रहा। इस शिविर के आयोजन की खास बात यह रही कि चार दिवसीय शिविर के दौरान सभी प्रतिभागी विलेज टूरिज्म के तहत बंदला के गांवों में ठहरे और ग्रामीण परिवेश को करीब से देखा। सभी पायलटों ने एसआईवी तकनीक की बारीकियों को प्रयोगात्मक तौर पर समझा। गौर हो कि पैराग्लाईडिंग में एसआईवी तकनीक का प्रयोग पैराग्लाईडिंग के दौरान किसी भी प्रकार की अनहोनी या आपातकाल के समय पैराग्लाईडर को किस तरह से सुरक्षित लैंड करवाया जाए, के बारे में बताया जाता है। उड़ान के दौरान यदि पायलट को हवा में किसी प्रकार की परेशानी होती है तो वह किस तरह से उन कठिन परिस्थितियों पर काबू पाकर स्वयं को सुरक्षित रखेगा। 13 प्रशिक्षुओं को यह प्रशिक्षण मास्टर ट्रेनर अभी मलिक ने दिया। इस शिविर में यूरोप से हैन्नी, दुबई से शैलीन, नेपाल से अजय व विरेंद्र, स्वीटजरलैंड से रजत के अलावा गणेश दिल्ली, रैंबो, पुलकित पूना, आशुतोष व गणेश, विकास, कर्नल दानवी, अमित, मुंबई नीरज धर्मशाला तथा अंकुश व साजिद खान शामिल रहे। बिलासपुर जिले से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सीनियर पैराग्लाईडर पायलट विशाल जस्सल ने बताया कि यदि इस इवेंट में परिपक्वता हासिल करनी हो तो इस प्रकार की जटिल तकनीकों में महारत हासिल होनी चाहिए। क्योंकि हवा में पायलट को स्वयं अपनी रक्षा करनी होती है। विशाल ने बताया कि बिलासपुर में इस शिविर को सफलता से संपन्न करवाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। लाईफ जैकेट व अन्य सुरक्षा उपकरणों के साथ टेक आफ करने के बाद गोविंद सागर झील के ऊपर पैराग्लाईडर यदि विपरीत हवा के कारण ग्लाईडर स्पिन कर जाए तो उस चुनौती से लड़कर स्वयं को सुरक्षित रखते हुए बेहतर लैंड करने के बारे में इस प्रकार की तकनीकों के बारे में बताया जाता है। विशाल जस्सल जो कि रेस्कयू टीम में शामिल थे, ने बताया कि गोविंद सागर झील में एक रैस्क्यू टीम भी हवा में उड़ रहे पैराग्लाईडर के साथ-साथ मूव करती है। रैस्क्यू टीम को प्रभारी विशाल जस्सल, पुनीत, लवली व हंसराज राजू ने बखूबी हैंडल किया। इसी दौरान धर्मशाला से आए वरिष्ठ पायलट ऋषि ने भी एक्रो प्रैक्टिस की।