जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
सतपाल मैहता निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य विभाग ने जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेष के उत्पादित मछलियों को डिब्बा बंद कर के इसके विपणन की एक योजना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पशुपालन, डेयरी व मत्स्य विभाग, भारत सरकार के सहयोग से वर्ष 2018-19 में स्वीकृत की गई है। इस केन्दीय सहायता प्राप्त योजना का मुख्य उद्वेष्य प्रदेश के मत्स्य उत्पादन को डिब्बा बंद कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का है। इसी कडी में सामुदायिक डिब्बा बंद मछली संयंत्र इकाई की स्थापना कुल्लू जिला के विभागीय ट्राउट फार्म पतली कूहल पर करना प्रस्तावित है। जिस पर 85 लाख रूप्ये व्यय किये जायेंगे।
उन्होंने बताया कि इसी उद्वेश्य से वैज्ञानिकों के दो दल। प्रथम दल में डा0 सी0ओ0मोहन, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, व द्वितीय दल में डा0 अनुज कुमार, वैज्ञानिक मत्स्य प्रसंकरण, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, कोची आजकल प्रदेश प्रवास पर है। उन्होंने भाखडा, उना व नालागढ आदि क्षेत्रों का प्रवास भी किया। वहां पर स्थापित प्रसंकरण संयंत का निरिक्षण करने उपरांत कुछ मशीनरी को चालू भी कर दिया तथा शीघ्र ही वह सभी सम्बंधित को प्रशिक्षण देने हेतू अगले कुछ महीनों में दोबारा हिमाचल आयेगें तथा सभी चारों यूनिटों को पूरी तरह से प्रयोग में लाएंगे। अपने पांच दिवसीय प्रवास पर आज इस दल ने भारत नार्वे ट्राउट परियोजना पतली कूहल जिला कुल्लू का प्रवास किया जहां डिब्बा बंद मछली संयंत्र इकाई की अपार स्थापना संभावनाएं पाई गई।
सतपाल मैहता, निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य ने बताया कि इस महत्वकांक्षी केन्द्रीय सहायता प्राप्त योजना में 80 प्रतिषत राशि केन्द्र सरकार तथा 20 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जानी है। जिसमें ट्राउट मछली को डिब्बा बंद कर के राज्य व राज्य के बाहर विपणन करने की येाजना है। अध्ययन पर आए दल ने ट्राउट फार्म पतलीकूहल में प्रस्तावित इस संयत्र के लिए भूमि चयन व इसकी संभावनाओं पर चर्चा की तथा इस परियोजना को इस फार्म पर लागू करने के लिए उपयुक्त पाया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के आरंभ होने से राज्य तथा इसके बाहर मछली खाने वाले उपभोक्ताओं को ताजा मछली उपलब्ध होगी वहीं इसके विपणन की समस्या से भी निजात मिल सकेगी और उपभोक्ताओं को रेडी टू यूज के आधार पर ट्राउट मछली उपलब्ध होगी। जिससे प्रदेश की आर्थिकता में भी बढोतरी होगी।