जनवक्ता ब्यूरो शिमला
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं अस्पताल शिमला के शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा एसोशिएशन ऑफ सर्जनस ऑफ इण्डिया, उत्तरी चैप्टर के दो दिवसीय 34वें वार्षिक सम्मेलन का आज यहां आरम्भ हुआ।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने सम्मेलन का शुभारम्भ किया जिसमें कैंसर रोग से संबंधित शल्य चिकित्सा तथा पिते की पत्थरी का शल्य चिकित्सा कक्ष से सीधा प्रसारण किया गया।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को उनके घरों के नजदीक श्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है तथा इसके लिए इस वित्त वर्ष में 2302 करोड़ रुपये का स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रावधान किया गया है, जोकि पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 582करोड़ रुपये अधिक है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भारत सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना भी आरम्भ की है, जोकि प्रदेश के 22 लाख लोगों को लाभान्वित करेगी। स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसूति बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना भी आरम्भ की गई है, जिसके अन्तर्गत नवजात शिशु को 1500 रुपये की किट प्रदान की जा रही है तथा इससे प्रतिवर्ष एक लाख नवजात शिशुओं को लाभ मिलेगा।
विपिन सिंह परमार ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि हाल ही हिमाचल प्रदेश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए विभिन्न श्रेणियों में चार पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। ये पुरस्कार असम के काजीरंगा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे कार्य व नवीनीकरण पर पाँचवें राष्ट्रीय सम्मेलन-2018 के दौरान प्रदान किए गए। राज्य को इनमें से दो पुरस्कार नवजात शिशुओं एवं पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में अधिकतम कमी लाने के लिए प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में नवजात मृत्यु दर में 15.8 प्रतिशत तथा पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 18.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने इन पुरस्कारों के लिए चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ की सराहना की तथा भविष्य में भी बेहतर कार्य करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि तीसरा पुरस्कार ई-स्वास्थ्य कार्ड को प्रदेश में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रदान किया गया है जबकि चौथा पुरस्कार प्रदेश को गोवा, कर्नाटक, व लक्षद्वीप के साथ आंतरिक रोगी सेवाओं में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य को स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में आदर्श राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में अनेक नई पहल की गई हैं।
शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ए.के. मल्होत्रा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि अपने अस्तित्व में आने के बाद शल्य चिकित्सा विभाग ने समय के साथ-साथ काफी तरक्की की है तथा इस विभाग ने शल्य चिकित्सा क्षेत्र में हो रही विभिन्न प्रगतियों के साथ समन्वय स्थापित किया है। उन्होंने सन्तोष व्यक्त किया कि अभी तक विभाग से 149 शल्य चिकित्सक उत्तीर्ण हुए हैं तथा वे प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में गुणात्मक शल्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।
प्रो. डी.के. वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
सम्मेलन में विभिन्न राज्यों एवं विदेशों से आए लगभग 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। जयपुर से आए डॉ. राजेश भोजवानी, दिल्ली के डॉ. प्रदीप, वाराणसी के डॉ. विवेक श्रीवास्तव एवं डॉ. एम. साहु, पीजीआई चण्डीगढ़ के डॉ. विकास गुप्ता और डॉ. जी.आर. वर्मा, चिकित्सा महाविद्यालय चण्डीगढ़ के डॉ. अशोक अत्री व डॉ. दलाल, रोहतक के डॉ. संजीव प्रसाद, यूएसए से आए डॉ. अनिल कोतरू तथा मुजफरनगर के डॉ. अबे बाहर से आए आमंत्रित संकाय में शामिल थे।