संगठन के लिए अपने को भी दाव पर लगा दिया था प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने
आने वाले 2019 के चुनावों में भी सतपाल सत्ती की रहेगी अहम भूमिका
अडोरी
राजनीतिक संवाददाता
शिमला
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती के नेतृत्व का ही लोहा माना जा सकता है कि हिमाचल में भाजपा मजबूत बन कर उभरी थी। यह अलग बात है कि संगठन के लिए सतपाल सत्ती ने अपने को भी दाव पर लगा दिया था अन्यथा 2012 में 26835 वोट पाकर जीत की हैट्रिक लगाने वाले सतपाल सिंह सत्ती कभी पराजित नहीं हो सकते थे। उन्होंने अपने से ज्यादा संगठन को देखा और उसका परिणाम भी सामने आया हिमाचल में भाजपा ने 44 सीटें जीती लेकिन सत्ती खुद अपना चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद वे अपने पद पर मजबूती से जमे हुए हैं। उनका अपना कोई मजबूत गुट नहीं हालांकि उन्हें धूमल के करीब जरूर माना जाता है। सत्ती की राजनीति में अपनी महत्वाकांक्षाएं रही हैं। वे युवा हैं और संगठन के व्यक्ति रहे हैं। यह माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का खेमा चुनाव के बाद सत्ती को पद से हटाकर नया अध्यक्ष चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
पिछले दिनों सीएम जयराम ठाकुर के उना दौरे के दौरान जिस तरह से सीएम ने सतपाल सत्ती को तरजीह दी उससे लगता है कि आने वाले 2019 के चुनावों में भी सतपाल सत्ती की अहम भूमिका रहने वाली है। गौर रहे कि सत्ती को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में धूमल का बड़ा रोल रहा था। धूमल खुद सत्ती को हटाए जाने के पक्ष में नहीं ऐसा माना जाता है। संगठन पर भले सत्ती की धूमल जैसी पकड़ नहीं वे विवादास्पद भी नहीं रहे हैं। इस तरह सत्ती भी प्रदेश भाजपा में भविष्य की दौड़ में शामिल हैं। सतपाल सत्ती का मानना है कि प्रदेश में संगठन और सरकार में गजब का तालमेल है और कार्यकर्ताओं की आवाज सरकार तक पहुँचती है। जनता के बड़े मसलों पर संगठन सरकार से लगातार संपर्क रखता हैं। वैसे यह तो साबित हो ही चुका है कि भाजपा की सरकारें अपनी महत्वकाँक्षाओं नहीं जनता की उम्मीदों के लिए काम करती हैं। 54 वर्षीय सत्ती एम ए राजनिति शास्त्र में एम फिल हैं। उन्होंने 1988 में एबीवीपी में प्रवेश किया। और फिर भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। उसके बाद पहली बार 2003 में विधायक चुने गये थे।