जनवक्ता ब्यूरो पालमपुर (कांगड़ा)
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शुक्रवार को चौधरी सरवण कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये समर्पित प्रयास करने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि इसे लेकर ग्राम स्तर से आन्दोलन आरम्भ करने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कृषि क्षेत्र में किये जा रहे शोध के लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने को कहा।
राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना प्रधानमंत्री की परिकल्पना है और हमें इस दिशा में योगदान करना चाहिए तथा किसान समुदाय के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रणाली रासायनिक तथा जैविक कृषि का एक मात्र विकल्प है और यह प्रणाली सुरक्षित भी है तथा इसमें किसानों की आय को दोगुना करने की क्षमता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन लागत शून्य हो जाती है और उत्पाद ज़हर-मुक्त होते हैं। इससे ज़मीन की उत्पादकता बढ़ती है, पानी के कम उपयोग की आवश्यकता पड़ती है, मित्र कीटों का बचाव होता है तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादों की पैदावार होती है।
उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कार्यों की सरहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय राज्य में कृषि, पशु चिकित्सा तथा पशु विज्ञान के क्षेत्र में आवश्यकता आधारित अनुसंधान के लिए जाना जाता है और व्यापक प्रशिक्षण सहित किसानों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर किसानों को उनकी आर्थिकी में सुधार करने में सहायता कर रहा है।
उन्होंने कहा कि किसानों से सीधे तौर पर जुड़े कृषि कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
चौधरी सरवण कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के
कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरियाल ने राज्यपाल को विवि की प्रगति व अन्य गतिविधियों से अवगत करवाया।