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हिमाचल प्रदेश में स्थापित होने वाले नए औद्योगिक क्षेत्रों को डीएफपी के तहत अधिसूचित करने के लिए केन्द्र सहमत

Byjanadmin

Nov 14, 2018

उद्योग विभाग को प्रस्ताव भेजने को कहा

तीन अतिरिक्त कृषि खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर को स्वीकृति देने पर सहमति

जनवक्ता ब्यूरो शिमला
मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने आज नई दिल्ली में भारत सरकार की खाद्य एवं प्रसंस्करण सचिव पुष्पा सुब्रमण्यम से भेंट कर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की तथा इन परियोजनाओं को स्वीकृति देने के लिए तत्काल हस्ताक्षेप का भी आग्रह किया।

मुख्य सचिव ने नए औद्योगिक क्षेत्रों ऊना जिला के पंडोगा, कांगड़ा जिला के कन्दरौड़ी तथा सोलन जिला के अडुवाल को नामित फूड पार्क (डीएफपी) के रूप में अधिसूचित करने का आग्रह किया ताकि ये इकाईयां इन क्षेत्रों में स्थापित की जा सकें और प्रधानमंत्री कृषि सम्पदा योजना के अन्तर्गत विभिन्न प्रोत्साहन व लाभ प्राप्त कर सकें।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इसके लिए अपनी स्वीकृति दी है तथा इससे इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ उद्यमी विभिन्न बड़े प्रोत्साहनों को प्राप्त करने के लिए भी पात्र हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि नामित खाद्य पार्कों में उद्यमी प्रति इकाई अधिकतम पांच करोड़ तक तकनीकी सिविल कार्य सहित संयंत्र व मशीनरी के मूल्यों के 50 प्रतिशत मूल्य पर प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे, क्योंकि यह प्रोत्साहन सामान्य श्रेणी के राज्यों को केवल 35 प्रतिशत ही है।

बी.के. अग्रवाल ने हिमाचल प्रदेश को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आरम्भ की गई ऑप्रेशन ग्रीन योजना में शामिल करने की मांग की, क्योंकि हिमाचल आलू और टमाटर के उत्पादन में समृद्ध है। केन्द्र सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है और उद्योग विभाग से एक प्रस्ताव भेजने को कहा है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक उन्नति के साथ-साथ टमाटर और आलू को प्रसंस्करण में क्रांति आएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में टमाटर उत्पादन में हिमाचल प्रदेश 12वें स्थान पर है, जिसका उत्पादन 473 मीट्रिक टन है।

मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत कांगड़ा, मण्डी और सोलन जिलों के लिए तीन अतिरिक्त कृषि खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर अनुमोदित करने का आग्रह किया क्योंकि यहां कृषि-बागवानी उपज की पर्याप्त उपलब्धता है। पिछले वर्ष प्रदेश में फल उत्पादन 6.15 लाख मीट्रिक टन रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है। वर्तमान में राज्य के लिए कांगड़ा में ही एकमात्र क्लस्टर स्वीकृत है। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर राज्य में अचूक अतिरिक्त पैदावार का उपयोग सुनिश्चित होगा और दूसरी ओर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे।

बी.के. अग्रवाल ने सचिव को बताया कि इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए आयोजित होने वाले मैगा इनवेस्टर मीट और अन्य कार्यक्रमों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर विशेष फोकस रहेगा। केन्द्र ने इसके लिए सभी संभावित सहायता और सहयोग का आश्वासन दिया।

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