जनवक्ता ब्यूरो पंचकूला
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि गौ संवर्द्धन व सुरक्षा के लिये जरूरी है कि गाय के नस्ल सुधार और इसे कृषि से जोड़कर इसके महत्व को समझा जाये। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। क्योंकि, जन्म देने वाली माता के बाद गाय ही है जो आजीवन मनुष्य का पोषण करती है।
राज्यपाल गत सायं हरियाणा के पंचकूला में माता मनसा देवी गौशाला गौधाम में आयोजित गोपाष्टमी उत्सव के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गाय का महत्वपूर्ण स्थान है। वेदों में भी कहा गया है कि गाय विश्व की माता है, क्योंकि पृथ्वी में जितने भी पशु हैं उनमें सर्वश्रेष्ठ व कल्याणकारी गौमाता है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि इसके महत्व को जानते हुए भी गौमाता को सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गौमाता की जय तभी होगी जब ये किसान के खूंटे में बंधेगी। इसके लिये हमें इस के महत्व को समझना चाहिए।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि पूजा का अर्थ है सेवा करना और सेवा के लिये श्रद्धा होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में उन्होंने शून्य लागत प्राकृतिक कृषि अभियान चलाया है और गाय को इस अभियान का आधार बनाया है। उन्नत कृषि और प्राकृतिक कृषि को गाय के माध्यम से कैसे किया जा सकता है, इसकी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र के उनके 200 एकड कृषि फार्म में प्राकृतिक कृषि की जाती है और 300 गाय का पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर पर ये सिद्ध हो चुका है कि भारतीय नस्ल की गाय का गोबर इतना गुणकारी है जो जमीन की उपजाऊ शक्ति को तो बढ़ाता ही है बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित बनाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय नस्ल की गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ जीवाणु पाये जाते हैं, जो भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाते हैं। गोबर के समान ही गौमूत्र भी उतना ही उपयोगी है।
उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार और कृषि से जोड़कर ही गौमाता को पुनः मां का दर्जा दिया जा सकता है। उन्होंने आशा जताई कि लोग गौमाता को लेकर जागरूक होंगे और इसकी उपयोगिता को समझेंगे।
इससे पूर्व, श्रीमद भागवत कथावाचक डॉ. अमृता बहन ने गऊ के महत्व पर प्रकाश डाला।
श्रम एवं रोजगार मंत्री नायब सैनी, कुलभूषण गोयल, श्री हरगोबिंद गोयल, भूपेंद्र गोयल, जगदीप ढांढा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।