विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में संबंधित विभागों को गुणवत्ता सुनिश्चित करने को कहा
जनवक्ता ब्यूरो शिमला
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर हिमाचल प्रदेश की बाह्य सहायता परियोजनाओं की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में बाह्य सहायता प्राप्त निर्माणाधीन परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करने के लिए अग्रसक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों तथा कार्यान्वयन एजेन्सियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि इन विकासात्मक परियोजनाओं के क्रियान्वयन में गुणवत्ता को बनाया रखा जा सके। उन्होंने लोक निर्माण, पर्यटन, वन, तकनीकी शिक्षा, बागवानी, कृषि, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, ऊर्जा तथा शहरी विकास विभागों द्वारा क्रियान्वित की जा रही बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं की बैठक में समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इन परियोजनाओं को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने को कहा ताकि बाह्य सहायता के लिए इस प्रकार की और परियोजनाएं तैयार की जा सके। उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों को बाह्य वित्त पोषण एजेन्सियों के साथ प्रभावी तालमेल सुनिश्चित बनाना चाहिए ताकि राज्य के विकास में तेजी लाई जा सके।
लोक निर्माण विभाग में क्रियान्वित की जा रही बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग को यात्रियों के लिए सुविधाजनक आवाजाही सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियाजनाएं चरण-एक के तहत 435 किलोमीटर सड़कों को चौड़ा करने पर 2298 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। मियादी रखरखाव पर 197 करोड़ रुपये, 1484.79 किलोमीटर सड़कों पर 74 ब्लैक स्पोट्स को हटाया गया है जबकि 25 ब्लैक स्पोट्स की मुरम्मत की गई है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को सुरक्षित और सुविधाजनक यातायात की सुविधा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क़ परियोजना चरण-दो के ट्रैंच-एक के तहत राज्य में 127.95 किलोमीटर लम्बी पांच सड़कों क्रमशः बरोटीवाला-बद्दी-साई, रामशहर, दधोल-लदरौर, रघुनाथपुरा -मण्डी-हरपुर-भराड़ी तथा नौर-वजीर-बावली पर 750 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।
वन विभाग की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि के.एफ.डब्ल्यू द्वारा सहायता प्राप्त हिमाचल प्रदेश वन ईको सिस्टम क्लाईमेट पू्रफिंग परियोजना को 308.45 करोड़ रुपये की लागत से लागू किया जा रहा है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के खतरों के विपरित प्रभावों को कम करना, हिमालयी ईको सिस्टम में जैव विविधता को बढ़ाना तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी प्रबन्धन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आय के साधन सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि जीका के सहयोग से 800 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे हिमाचल प्रदेश ईको सिस्टम प्रबन्धन तथा जीविका, विश्व बैंक के सहयोग से 700 करोड़ रुपये की लागत से एकीकृत विकास परियोजना तथा पर्यावरण मित्र वर्षा आधारित कृषि परियोजनाएं भी प्रदेश में लागू की जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को इन परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने तथा उनकी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए 534 करोड़ रुपये की लागत से हिमाचल प्रदेश कौशल परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि 25 व्यवसायों में 50 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को एससीवीटी से एनसीवीटी में उन्नयन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि एक और पॉलीटेक्निक महिलाओं के लिए भी स्थापित किया जाएगा। इसके माध्यम से बी वॉक के अन्तर्गत 2880 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा तथा छः शहरी जीविका केन्द्र तथा सात ग्रामीण जीविका केन्द्र राज्य में स्थापित किए जाएंगे।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य के विभिन्न भागों में 20 पर्यटन परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है तथा अगले वित्त वर्ष के दौरान आठ और परियोजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा। इन परियोजनाओं में हेरिटेज सर्किट का निर्माण, ज्वाला जी शहर, कुल्लू जिले में परम्परागत कला एवं हस्तशिल्प केन्द्र तथा शिमला मॉल रोड विस्तार व पुनरूद्धार शामिल है। उन्होंने कहा कि पर्यटन से सम्बन्धित तीन परियोजनाएं 2020 तक पूरी कर दी जाएंगी, जिसमें पर्यटन संस्कृति केन्द्र जंजैहली, शिमला स्थित बैन्टनी कैसल का पुररूद्धार एवं जीर्णोद्धार तथा शिमला जिला के रामपुर बुशहर के आस-पास स्थित पुरातन मन्दिरों का सौन्दर्यीकरण शामिल है।
बागवानी विभाग में बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं पर हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1134 करोड़ रुपये की लागत वाली हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास योजना का उद्देश्य फसल विविधिकरण तथा छोटे किसानों तथा कृषि उद्यमियों को सहायता प्रदान करना है, जिससे उनका उत्पादन, गुणवत्ता तथा बाजार तक पहुंच बढ़ सके। उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य जलवायु स्थिति स्थापक तकनीकी को प्रोत्साहित करना है, जिससे फलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सके।
321 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश कृषि विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना जिका की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य राज्य सरकार के कृषि आय के प्रयासों को सहयोग प्रदान करना है, जिससे कृषि विविधिकरण सुनिश्चित हो सके तथा कृषि क्षेत्र में रोजगार का सृजन तथा 7200 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधाएं प्रदान की जा सके।
मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि सभी बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करके इन्हें समयबद्ध रूप से पूरा किया जा सके।
राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला, अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकान्त बाल्दी, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नन्दा, अनिल खाची, मनोज कुमार तथा आर.डी. धीमान, प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना, ओंकार चन्द शर्मा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुण्डू, सचिव देवेश कुमार और दिनेश मल्होत्रा, योजना सलाहकार बासु सूद व अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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