जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा आज दिनांक 3.12.2018 को संस्कृति भवन के बैठक कक्ष प्रातः 11 बजे ज़िला स्तरीय यशपाल जयन्ती का आयोजन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता ज़िला भाषा अधिकारी द्वारा की गई। मंच का संचालन रविन्द्र भटटा द्वारा किया गया । सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती की ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का आरम्भ किया गया। इसके उपरान्त सभी साहित्यकारों द्वारा प्रख्यात साहित्यकार डाॅ0 पीयूष गुलेरी जी व लोकगायक प्रताप चन्द शर्मा के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रदांजली अर्पित की। द्वारा मां सरस्वती की वन्दना की गई। कार्यक्रम मंे कविता सिसोदिया की रचना की पंक्तियां थी प्रेम चन्द जी के बाद आते है ‘‘यशपाल‘‘। मीना चन्देल ने ‘‘असमंजस‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। प्रदीप गुप्ता की रचना की पंक्तियां थी- चेहरे की हंसी से गम भुला दो, कम बोलो पर सब कुछ बता दो। सत्या शर्मा ने ‘‘ गौरै्या ‘‘ । आचार्य गोरखू राम ने -कवि कुछ तो नया राग सुनाता जा। ‘‘रवि सांख्यान ने -एक नम्बर मोबाईल का शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। दिनेश कुमार ने ‘‘कभी खवाहिस थी पहले अमीर हो जाउं । सुरेन्द्र मिन्हास की रचना थी-आखिरकार 26 दिसम्बरे 76 च म्हारी पहाड़ी तारा टूटी गया‘‘। नरैणु राम हितैषी ने- बचपन की दिल में ए कहानी याद आई। अरूण डोगरा रितू ने-ए पाक तुम्हारी धमकी से। जसबन्त सिंह चन्देल ने ‘‘ शहीद सैनिक के अन्तिम शब्द। सुशील पुण्डीर ने -ठोको ताली। प्रदीप गुप्ता, रविन्द्र भटटा व अन्जु शर्मा ने ‘‘ साहित्यकार यशपाल‘‘ के उपर पर पत्रवाचन किया । हेमा ठाकुर ने यशपाल जी एक साहित्यकार ही नहीं पुरोधा भी। अमरनाथ धीमान ने ‘‘ दर्दे दिल कर रहा ऐ बेदर्दी याद तुम्हारी। तृप्ता देवी ने ‘‘ बिल्ली की फरियाद। लशकरी राम ने – पहाड़ी गाना प्रस्तुत किया। विपिन चन्देल ने- मै रेत में न जाने तुम्हारी कितनी तस्वीरें बनाता हूं। सन्देश शर्मा ने – वो अपनी चमक विखेर गया। प्रोमिला भारद्वाज ने – कम करके प्रदूषण फैला के हरियाली। अनूप सिंह मस्ताना ने – तू राम ही बनकर आ जाए। कौशल्या देवी ने – मरा छुटअी गेया मापेेयां रा परदेश। रामपाल डोगरा ने- देखो अजकल दी बहुआं रे नजारे। हुसैन अली ने- बदला कुछ वक्त। सोनू शर्मा की पंक्तियां थी- पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार। जीत राम सुमन द्वारा ‘‘ मेरा छुटि गेयाा मापेया रा देश। ‘‘। इसके अतिरिक्त साहित्यकारों द्वारा नेश के उपर भी रचनाएं प्रस्तुत की।
अन्त में ज़िला भाषा अधिकारी ने सभी कवियों एवं साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुऐ कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक श्री के. के. शर्मा के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा नशा या नशीले पदार्थो के सेवन के कारण, दुष्प्रभाव एवं समाधान सम्बन्धी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे उन्होनंे साहित्यकारों से भी कहा कि वे अपनी कविताओं मे नशा को जड़ से समाप्त करने बारे में भी अपनी रचनाएं प्रस्तत किया करें ताकि एक स्वस्थ्य एवं खुशहाल समाज एवं देश की संकल्पना सफल हो सके। विभाग का यह सदैव प्रयास रहता है कि अपने कार्यक्रमों के माध्यम से हमारी लोक संस्कृति, साहित्य एवं नैतिक मूल्यों का संरक्षण तथा प्रचार – प्रसार हो सके। अन्त में उन्होेने यशपाल जी के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। संगोठी में इन्द्र सिंह चन्ेदल, कान्ता देवी, परमदेव शर्मा, अमर सिंह प्यारी देवी, नीता देवी, सरोज कुमारी व प्यारी देवी भी श्रोताओं के रूप में उपवस्थित रहे।