समाज हित में डीजीपी (कारागार) वापिस ले अपने नए आदेश…
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
यहाँ कितने ही बुद्धिजीवियों ने राज्य जेलों के डाइरैक्टर जनरल (डीजीपी-जेल) के उस आदेश पर आश्चर्य प्रकट किया है जिसमें उन्होंने बिना सोचे विचारे यहाँ बिलासपुर नगर के निकट राज्य आदर्श कारागार में सारे हिमाचल प्रदेश भर से निश्चित रूप से सद-व्यवहार और भावी जीवन में सुधार की संभावनाओं के प्रति समाज में अपने आप को दोबार से सभी जीवन-यापन करने की आशाओं से परिपूर्ण उम्र कैदियों की शेष सजा काटने के लिए स्थापित किया गया है।
पुष्ट सूचनाओं के अनुसार कुछ दिन पूर्व डीजीपी (कारागार ) सुमेश गोयल यहाँ निकट की जबली स्थित कारागार का निरीक्षण करने के बहाने यहाँ पधारे थे और उन्होंने न जाने किस कारण अथवा विवशता से इस तानाशाही पूर्ण आदेश को पारित कर दिया कि अगले ही दिन से इस कारागार में रह रहा कोई भी कैदी कारागार से बाहर जाकर अपनी आजीविका कमाने के लिए कार्य नहीं करेगा, जिससे इस कारागार के आस पास के क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि बिलासपुर नगर में भी इस अट-पटे आदेश पर भारी आपत्ति उठाई जा रही है और यह कहा जा रहा है कि इस उच्चाधिकारी का यह आदेश उस योजना की परिकल्पना के विरुद्ध है जिसके नीचे वर्षों पूर्व तब हिमाचल के सर्व प्रथम उप राज्यपाल बजरंग बहादुर सिंह बदरी ने इस कारागार को एक ‘सुधार गृह के रूप में स्थापित किया था। जानकारों का कहना है कि इस उच्चाधिकारी द्वारा दिए गए यह आदेश न केवल अनुचित बल्कि अन्याय पूर्ण भी हैं क्योंकि वर्षों पूर्व से इस कारागार की पिछले दर्जनों वर्षों से निरंतर चली आ रही कार्यप्रणाली और इसे स्थापित करने के ‘सुधार गृह के आदर्शों के बिल्कुल विपरीत इस योजना को पलीता लगाने का ही काम किया है, क्योंकि सुधार गृह की योजना के अनुरूप इस कारागार में कैदियों को दोबारा साधारण समाज में आने जाने का सुअवसर देकर एक सभ्य नागरिक के रूप में बदलने का अवसर देने और अपनी योग्यता और अनुभव अथवा हूनर के अनुरूप काम करके धन कमाने तथा उनमें दायित्व व कर्तव्य कि भावना विकसित करने के लिए चलाई गई थी ताकि सरकार जब उन्हें कारागार से मुक्त करने का निर्णय लेती है तो वे दोबारा समाज में एक सभ्य नागरिक के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर सकें और जो धन वे बाहर जाकर मेहनत से कमाए उसका आधा भाग उनके पीछे छूट गए निराशा भरी जिंदगी काट रहे उनके परिवार कि रोजी रोटी के काम आ सके, किन्तु इस अधिकारी ने इस योजना पर ही पूरी तरह से पानी फेर दिया और एकाएक इस मुक्त कारागार के सभी कैदी इन सुविधाओं से वंचित हो गए 7-7 उन्होंने कहा कि इस आदेश से मुक्त कारागार और अन्य जिलों की कारागारों का अंतर भी समाप्त कर दिया गया , इन बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल तथा हिमाचल हाईकोर्ट का ध्यान इस ओर खींचते हुए मुक्त कारागार प्रणाली को समाज हित में पूर्व की भांति चलाए रखने के आदेश देने का आग्रह किया है।