राज्यपाल ने जल पुनर्चक्रण तथा वर्षा जल संग्रहण पर बल दिया
जनवक्ता ब्यूरो मोहाली (पंजाब)
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि बढ़ता जल प्रदूषण तथा भूजल के स्तर में गिरावट आज सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। स्वाभाविक रूप से विकसित जल वृद्धि प्रणाली को समझना और इसके अनुरूप कार्य योजना विकसित करना वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा और यदि इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इसके दुष्परिणाम हमारे सामने होंगे।
राज्यपाल आज पंजाब में मोहाली स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तत्वावधान में भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय के अंतर्गत भाखड़ा ब्यास प्रबन्धन बोर्ड द्वारा आयोजित ‘सतत जल प्रबंधन’ पर प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
आचार्य देवव्रत ने कहा भूजल के अत्यधिक शोषण और कुप्रबंधन के कारण भूजल स्तर विशेषकर पंजाब और हरियाणा राज्यों में तेजी से कम हो रहा है तथा वैज्ञानिकों के आंकड़ें बताते हैं कि भूजल स्तर चार फुट प्रतिवर्ष की दर से नीचे जा रहा है जो चिन्ता का विषय है। राज्यपाल ने कहा कि सिंचाई के लिए जल के आवश्यकता के अधिक प्रयोग को प्राकृतिक खेती अपनाकर रोका जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि पानी की उपलब्धता सुरक्षित किए बिना सतत विकास हासिल नहीं किया जा सकता तथा जल की उपलब्धता मानव अस्तित्व और कल्याण के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जल सुरक्षा के द्वारा पर्यावरण सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी तथा जल कुप्रबन्धन के विपरीत प्रभावों को भी रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह वित्त योजना, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सभी क्षेत्रों में जल प्रबन्धन को एकीकृत करने से भी संबंधित है। उन्होंने कहा कि जल उपलब्धता की दृष्टि से सुरक्षित दुनिया में गरीबी कम होगी तथा शिक्षा का स्तर बढ़ेगा तथा जीवन स्तर में वृद्धि होगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपने भूजल संसाधनों को संरक्षित करना चाहिए तथा अपने शहरी स्थानों की रचना इस प्रकार से करनी होगी, जिससे की हमारी भूजल संसाधनां पर निर्भरता कम हो तथा हमें पानी के पुनर्चक्रण और वर्षा जल संग्रहण में अधिक निवेश करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि ‘हमें मिट्टी की संरचना में सुधार और मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाने के लिए फसल आवर्तन तकनीकों का भी विकास करना होगा। राज्यपाल ने कहा कि वर्षा जल संग्रहण कई उद्देश्यों की पूर्ति करता है। उन्होंने सिंचाई के लिए पानी का उपयोग भी शामिल है जोकि भारत में एक चिन्ता का विषय है क्योंकि भूमि, नदियों और झीलों के जल का बहुत अधिक प्रयोग फसलों की सिंचाई के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि कीटनाशकों का उपयोग, भूजल में रासायनिक रूप से प्रभावित और प्रदूषित पानी का रिसाव चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर और अन्य बीमारियों की बढ़ती घटनाएं पिछले दशक में उभर कर सामने आई है।
उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड, जल संसाधन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, केन्द्रीय सिंचाई और ऊर्जा बोर्ड तथा विश्व बैंक को ‘सतत जल प्रबंधन’ जैसे गंभीर विषय पर सम्मेलन आयोजित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का विषय वैश्विक जलवायु परिवर्तन के आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है।
राज्यपाल ने जल संसाधनों के सतत प्रबंधन पर नवीनतम उत्पादों और सेवाओं पर प्रदर्शनी का भी शुभारम्भ किया।
सचिव, जल संसाधन मंत्रालय एवं नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय भारत सरकार, उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों के आवश्यकता से अधिक शोषण के कारण जल संसाधनों और जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन के मांग पक्ष पर भी बल दिया।
इससे पूर्व, भाखड़ा ब्यास प्रबन्धन बोर्ड के अध्यक्ष डी.के. शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विस्तार, शहरीकरण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण हमारे जल संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या है जो केवल चार प्रतिशत ताजा जल संसाधनों पर निर्भर है। हमें अपने संसाधनों के सतत प्रबंधन के माध्यम से जल का उपयोग और संरक्षण करना है और इसी पृष्ठभूमि में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन बाढ़ और सूखा प्रबंधन, जल विज्ञान, पर्यावरण प्रवाह, अंतर-तटीय जल हस्तांतरण, जलवायु परिवर्तन, भंडारण परियोजना आदि के संबंध में नवीन विचारों और विशेष परिस्थितियों के अध्ययन को समझने, साझा करने व संवाद करने के लिए मंच प्रदान करेगा।
केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष मसूद हुसैन तथा सिंचाई और जल निकास अंतराष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष फेलिक्स बी. रिंडर्स ने भी अपने विचार रखे।
राज्यपाल के सलाहकार डॉ. शशिकान्त शर्मा तथा राज्य और केन्द्र सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।