खैरियां गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा में प्रवचन करते पंडित सुरेश भारद्वाज
चांद और चकोर के बीच का प्रेम इतना गूढ़ है कि किसी के मिटाए नहीं मिटता
जनवक्ता डेस्क बिलासपुर
कथा का श्रवण करती महिलाएं
इस दौरान धर्मशास्त्रों के सुंदर प्रसंगों में प्रेम की पराकाष्ठा का वर्णन करते हुए पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि चांद और चकोर के बीच का प्रेम इतना गूढ़ है कि किसी के मिटाए नहीं मिटता। उन्होंने बताया कि चकोर रात भर चंद्रमा को बिना पलकें मूंदे एकटक लगाकर देखता रहता है। क्योंकि चकोर चंद्रमा के प्रेम में इतना डूब चुका है कि उसे और कुछ नजर ही नहीं आता। स्वयं को भूलकर चकोर अपना सर्वस्व चंद्रमा पर होम कर देता है तथा यही प्रेम है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा कृष्ण स्वरूप है तथा चकोर गोपी स्वरूप। पंडित भारद्वाज ने कहा कि पपीहा और बूंद का संबंध भी ऐसा ही है। पपीहे को यदि गंगा जल में भी डूबो दें तो वह पानी नहीं पिएगा। उसे तो केवल बारिश की बूंद से ही प्रेम है जब तक बारिश की बूंद उसके गले से नीचे नहीं उतरती उसे तृप्ति नहीं होती। पंडित सुरेश भारद्वाज ने बताया कि मंगलवार को कथा का समापन होगा तथा पूर्णाहुति के बाद अटूट भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।