आपदा जोखिम को कम करने के लिए चार योजनाओं की शुरूआत
राज्य की प्रत्येक पंचायत में 15-20 स्वयं सेवकों के कार्यबल को तैयार किया जाएगा
युवा मण्डलों, महिला मण्डलों, एनसीसी, रैड क्रॉस के स्वयं सेवकों को इन योजनाओं से जोड़ा जाएगा
जनवक्ता ब्यूरो शिमला
मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने विशेषकर राज्य की ग्राम पंचायतों में भूकम्परोधी सामुदायिक भवनों तथा अन्य ढांचों के निर्माण के लिए उपयुक्त नक्शों के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। वह आज यहां हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा आयोजित आपदा जोखिम को कम करने के लिए चार योजनाओं के क्रिर्यान्वयन को लेकर राज्य स्तरीय सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्य सचिव ने आपदा जोखिम कम करने के लिए चार योजनाओं का शुभारंभ किया जिनमें राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण, बढ़ई और बार बाईंडर्स को जोखिम प्रतिरोधी निर्माण का प्रशिक्षण, जीवनोपयोगी ईमारतों का संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट, अस्पताल सुरक्षा और आपदा तैयारी एवं प्रतिक्रिया के लिए युवा स्वयं सेवकों के कार्यबल का गठन शामिल है। उन्होंने विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में संभावित खतरों विशेषकर भूकम्प को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं को बनाने के लिए राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना की और कहा कि संगठित तौर पर जोखिम रोकने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य की प्रत्येक पंचायत में 15-20 स्वयं सेवकों के कार्यबल को तैयार किया जाएगा जो किसी भी आपदा के समय में प्रथम प्रतिक्रिया के रूप में कार्य करें और इसके लिए इन्हें उपयुक्त प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर एक राज्यव्यापी जागरूकता अभियान आरम्भ किया जाना चाहिए ताकि लोग आपदा न्यूनीकरण तथा इसे रोकने के उपाए जान सकें। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान समुदाय पीड़ित भी होता है और प्रथम प्रतिक्रिया के रूप में कार्य भी करते हैं। बी.के. अग्रवाल ने सभी आपदा न्यूनीकरण उपायों को परियोजना मोड़ में लेने की अवश्यकता पर बल दिया, जिसके लिए दिशा-निर्देश और मॉड्यूल आपदा प्रबंधन द्वारा उपलब्ध करवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा न्यूनीकरण उपाए तकनीकी संस्थानों के पाठयक्रमों तथा नगर निगम अधिनियम में शामिल किए जाने चाहिए। निर्माण कार्यों में लगे राज मिस्त्रियों को जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण देना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक जिले में राज मिस्त्री और स्वयं सेवकों की एक सूची बनाई जानी चाहिए तथा सीमेंट कम्पनियों को सक्रिय तौर पर प्रशिक्षण गतिविधियों से जोड़ना चाहिए। उन्हें अवगत करवाया गया कि सीमेंट कंपनियों ने मिस्त्रियों की मेलिंग लिस्ट तैयार कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के कार्यक्रम आरंभ किए हैं। उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों व एजेन्सियों को प्रशिक्षण मडयूल्स के अनुसार राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण प्रदान करने को कहा। उन्होंने पॉलिटैक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों में़े इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि राज्य में तकनीकी संस्थानों के लिए एक संसाधन केन्द्र स्थापित किया जाएगा। मुख्य सचिव ने सभी सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे नई भवन संरचनाओं को भूकम्परोधी व सुरक्षित बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों का प्रशिक्षण व क्षमतावर्धन करना प्रथम कार्य है। उन्होंने कहा कि भूकम्प के दौरान अस्पतालों में सबसे अधिक खतरा रहता है, इसलिए डॉक्टरों और पैरामैडिक्स के लिए इस वर्ष अपै्रल से पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए। अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व और आपदा प्रबन्धन मनीषा नंदा में अपने संबोधन में कहा कि युवा मण्डलों, महिला मण्डलों, एनसीसी, रैड क्रॉस के स्वयं सेवकों को इन योजनाओं से जोड़ा जाएगा। राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण उन्हें प्रमाण पत्र और पहचान पत्र प्रदान करेगा ताकि जोखिम के दौरान उनकी सेवाओं का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि उपायुक्त मण्डी ने ‘सर्व’ नाम से एक स्वयं सेवकों का कार्यबल बनाया है जिसे दुनियाभर में सराहा और अपनाया गया। उन्होंने कहा कि कार्यबल से जुड़े स्वयं सेवकों को 29 गतिविधियां से जोड़ा गया है। उन्होंने बल दिया कि स्कूली बच्चों के पाठयक्रम में तैराकी को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि वाटर बॉडीज व नदी तटों पर रहने वाले लोगों को आपदा के समय जोखिम की कम संभावना हो। विशेष सचिव राज्य आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा ने शुरू की गई चार योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण सभी संस्थानों को हर सम्भव सहायता प्रदान करेगा, जिसमें राज मिस्त्रियों और इंजीनियरों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहला कार्य मास्टर प्रशिक्षकों को तैयार करने का है और सभी संबंधित विभागों को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की वैबसाईट पर एक विस्तृत मॉड्यूल पहले से ही उपलब्ध है। विभिन्न जिलों के उपायुक्त, उपमण्डलाधिकारी, इन्दिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, खण्ड चिकित्सा अधिकारी, सीमेंट कंपनियों के प्रतिनिधि, अभियन्ता और अन्य हितधारक सेमीनार में उपस्थित थे।