जनवक्ता ब्यूरो, शिमला
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने आज कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में स्वाइन फ्लू (एच 1 एन 1) के मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंटी वायरल दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी, शिमला, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज, टांडा और केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, कसौली में स्वाइन फ्लू के लिए परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वाइन फ्लू की दवाएं निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं, 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को स्वाइन फ्लू होने का अधिक खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवार जिनमें इस बीमारी से पीड़ित रोगी पाए गए हैं, स्वास्थ्य कर्मियों को ऐसे घरों में जाकर निःशुल्क दवाई उपलब्ध करवाने के आदेश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश में इस बीमारी के फैलने व निपटने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल गठित किए हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर 12 त्वरित प्रतिक्रिया दल तथा ब्लॉक स्तर पर 73 त्वरित प्रतिक्रिया दल अधिसूचित किए गए हैं।
उन्होंने आईजीएमसी शिमला तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज, टांडा और प्रदेश के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों को जागरूकता अभियान में सघनता लाने व लोगों को निवारक उपाय बारे जागरूक करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मौसमी फ्लू श्वसन तंत्र को संक्रमित करके विभिन्न प्रकार के इन्फलुएंजा वायरस के कारण होने वाला श्वसन रोग है तथा इसके परिणामस्वरूप नाक का बहना, घबराहट, खांसी, बेचैनी और भूख की कमी इत्यादि इसके लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति में ये लक्षण पाए जाते हैं तो वे तुरन्त अपने नजदीकी अस्पताल जाएं और चिकित्सकों के परामर्श अनुसार आगामी कदम उठाएं।
उन्होंने फलू के मामले में मुंह व नाक को ढकने की सलाह दी और खांसी व नाक बहने की स्थिति में हाथों को साबुन के साथ धोने का परामर्श दिया ताकि रोग को फैलने से रोका जा सके। उन्होंने ऐसे रोगियों को आराम करने तथा भीड़ वाले स्थान पर न जाने की भी सलाह दी।