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बिलासपुर में श्रीकृष्ण कथा की मच गई धूम

Byjanadmin

Jan 31, 2019

पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने किया शुभारम्भ

एडीएम श्रवण मांटा ने आरम्भ करवाई कलश यात्रा

साध्वी कालिंदी भारती ने पहले दिन ही जमा दिया रंग

K।

जनवक्ता लाइव डेस्क बिलासपुर
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा बिलासपुर के डियारा सेक्टर में भक्तों को उनके अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाने व भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने हेतु विशाल व भव्य श्रीकृष्ण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगल कलश यात्रा द्वारा हुई जिसमे 108 कलश उठा कर सौभाग्यवती महिलाओं ने भाग लिया और लोगों को विलक्षण कार्यक्रम में आमंत्रित किया। 31 जनवरी 2019 से 6 फरवरी 2019 तक इस कथा का आयोजन किया जा रहा है। पहले दिन कलश यात्रा का शुभारंभ एडीएम श्रवण मांटा ने किया। कलश यात्रा लक्ष्मी नारायण मंदिर से आरंभ हुई और पूरे शहर का चक्कर लगा कर कथा पंडाल में पहुंची। वहां पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रो.प्रेम कुमार धूमल ने द्वीप प्रजल्वित कर इसका शुभारंभ किया। धूमल ने साध्वी कालिंदी भारती को पुष्प गुच्छ भी भेंट किया। इसके बाद उन्होंने पंडाल में बैठ कर कथा का श्रवण भी किया। कथा के हर प्रसंग ने लोगों के हृदयों को प्रभु के प्रति समर्पण से भर दिया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी कालिंदी भारती जी ने भगवान विष्णु की दिव्य लीलाओं के गहन अर्थ को रखा। निःस्वार्थ स्वयंसेवकों द्वारा ईश्वर महिमा से ओतप्रोत भजनों ने लोगों को झुमने के लिए विवश कर दिया। साध्वी जी ने भगवान बुद्ध के जीवन से उदाहरण लेते हुए स्पष्ट किया कि मानव जीवन का एकमात्र लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना और इस माया से मुक्त होना है। उन्होंने उन घटनाओं को विस्तार से रखा जब सिद्धार्थ को जीवन की वास्तविकता के बारे में पता चला और उन्होंने इससे मुक्ति का मार्ग खोज लिया। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बने जब उन्होंने अपने गुरु ‘संत सुजाता’ द्वारा दिए गए भगवान के सच्चे नाम का ध्यान किया। उन्होंने इस अवधारणा को स्पष्ट किया कि प्रभु का असली नाम भाषा से परे है जिसे बोला नहीं जा सकता। ईश्वर का वास्तविक नाम एक ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो दीक्षा के दौरान पूर्ण सतगुरु प्रदान करते हैं। ध्यान के दौरान, व्यक्ति अपने सभी अच्छे और बुरे कर्मों को जलता है और सर्वशक्तिमान से योग कर मुक्त हो जाता है। उन्होंने आगे बताया कि व्यक्ति को पूर्ण गुरु की खोज करनी चाहिए और उनसे दिव्य ज्ञान “ब्रह्मज्ञान” प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से ध्यान के बहुआयामी लाभों को भी भक्तों के समक्ष रखा। साध्वी जी ने बताया कि वर्तमान समय में, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी पूर्ण सतगुरु हैं, जो लोगों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों को संस्थान की सामाजिक गतिविधियों के बारे में बताया और उन्हें समाज की भलाई के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए भी प्रेरित किया।
उन्होंने सुदामा और कृष्ण की मित्रता का ऐसा सुंदर वर्णन किया कि ऊनि आंखों से अश्रुधारा बहने लगी जिससे माहौल शून्य हो गया और सभी का मन प्रभु प्रेम में लीन हो गया। संस्थान से आये स्वामी शशि शेखरानंद ने पूर्व मुख्यमंत्री धूमल को कथा का पटका पहना कर और एक पुस्तक देकर समानित भी किया। कथा में मुख्य रूप से सुकुमार सिंह, के डी लखनपाल, भूपेश चंदेल, लक्ष्मण ठाकुर, कमल गौतम, नरेंद्र पंडित, राज पाल सरीन, रविन्द्र भटटा, राजू , मुंशीराम शर्मा, पवन लूम्बा, चेतराम वर्मा, राम सिंह सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

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