जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित श्री कृष्ण कथा के तृतीय दिवस सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओं को रहस्यों सहित उद्घाटित करते हुए कहा कि भगवान शरीर नहीं वरन शरीर रूप में स्वयं परमात्मा है। उस बुद्धि मन वाणी से समझा नहीं जा सकता है। गोकुल कि गलियों में दौड़ते, ग्वालों संग गाय चराते, पत्नी के अपहरण के पश्चात उसको वनों में खोजते वनवासी को देखकर कौन समझ सकता है कि वह ईश्वर है। ईश्वर की लीलाएं मानव के लिए सदैव रहस्य ही रही हैं। इसलिए रावण, कंस, जरासंध, शिशुपाल दुर्योधन जैसे मूढ़मति लोग अपनी बुद्धि से ईश्वर को समझने के प्रयास में असफल हो ईश्वर द्रोही होकर अपना सर्वस्व समाप्त कर बैठे। जब जीवन में पूर्ण संत का आगमन होता है तब हमारा दिव्य नेत्र खुलता है तत्पश्चात हमें समझ आता है कि ईश्वर की प्रत्येक लीला का उद्देश्य हमारा कल्याण एवं उत्थान है। इसलिए अगर हम अपने जीवन का भला चाहते है तो हमें ऐसे संत की शरण में जाना होगा जो हमें ईश्वर के ज्योति स्वरूप को घट में दिखा दे और हमारा नाता सदा सदा के लिए प्रभु से जोड़ दें। कथा के तृतीय दिवस कमल कान्त गौतम, मुंशी राम शर्मा ने पूजन कर एवं ज्योति प्रज्वलन कर प्रभु आशीष को प्राप्त किया। कथा के अंत में व्यास कॉम्प्लेक्स के व्यवसायी सतीश सोनी, गुरविंदर सिंह, विशाल गुप्ता के सौजन्य से प्रसाद का वितरण किया गया। कथा का समापन प्रतिदिन कि भांति प्रभु की पावन आरती से हुआ। स्वामी शशि शेखरा नन्द जी ने बताया कि संस्थान द्वारा चल रहे अंतर्दृष्टि प्रकल्प (नेत्रहीन एवं विकलांग वर्ग हेतु सहायता) एवं अंतर क्रांति प्रकल्प (बंदी सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रम) द्वारा बनाए गए उत्पाद के स्टॉल भी लगाए गए हैं। संस्थान द्वारा आध्यात्मिक प्रचार सामग्री एवं आयुर्वैदिक उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए हैं। आप सब भी कार्यक्रम में पहुंच कर प्रभु महिमा का रसपान करते हुए इन उत्पादों को क्रय कर नेत्रहीन एवं कैदी बंधुओं के उत्थान में अपना योगदान अवश्य करें।।