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जब जब मानव भटकता है तब तब प्रभु उसको राह दिखाने हेतु अवतार लेते है : सुश्री कालिंदी

Byjanadmin

Feb 4, 2019


श्री कृष्ण कथा पंचम दिवस में शिव पाल मन्हास अतिरिक्त महाधिवक्ता हि प्र उच्च न्यायालय शिमला, श्री दिनेश गुप्ता, श्री राजपाल सरीन, श्री कृष्ण लाल घुमारवीं व डॉ बाबू राम गौतम पूर्व विधायक बिलासपुर ने सपत्नीक दीप प्र्ज्वलित कर प्रभु आशीष को प्राप्त किया। कथा के पंचम दिवस प्रभु चरणों में छपन्न भोग का महाप्रसाद प्रभु भक्तों में वितरित किया गया। प्रभु भक्तों का उत्साह एवं प्रभु प्रेम देखते ही बनता था।

जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
भारती दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा चल रहे श्री कृष्ण कथामृत के पंचम दिवस संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने प्रभु अवतरण को लेकर बताया कि जब जब मानव धर्म रहित होता है, अपने कर्तव्य पथ से भटक जाता है, उसका आचरण शास्त्र अनुसार ना होकर मन माना हो जाता है, इस संसार में चहुं ओर झूठ का पसारा हो जाता है, दंबी एवं आतताई लोग सज्जन पुरुषों को प्रताड़ित करना प्रारंभ कर देते हैं, सत्य पर असत्य हावी होने लग जाता है तब तब प्रभु का अवतरण इस धरा पर सत्य की रक्षा एवं धर्म की पुनर्स्थापना हेतु होता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी ऐसी ही परिस्थितियों में हुआ था। उन्होंने उस समय समाज में व्याप्त प्रत्येक गलत एवं अनैतिक घटनाओं को समाप्त कर समाज को एक सूत्र में पिरोकर धर्म की स्थापना की। आज के परिवेश में हमें भी श्री कृष्ण जैसे मार्गदर्शक की अत्यंत आवश्यकता है जो आज के समाज को एकता के सूत्र में पिरो फिर से नष्ट होती हुई मानवता एवं संस्कृति को फ़िर से नया जीवनदान प्रदान करें। किंतु उस से पूर्व हमें यह समझना होगा श्री कृष्ण को जगतगुरू क्यों कहा जाता है। आज जगतगुरू शब्द का प्रयोग कर किसी संत द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार अपने नाम के साथ किया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार जगतगुरू वही होते है जिनके पास ब्रह्मज्ञान की राजविद्या होती है। वह अपने शिष्य को उसके घट में ही उस पारलौकिक शक्ति से मिलवा कर उस भक्ति रूपी सुंदर जीवन प्रदान कर देते है। भक्ति के बिना यह जीवन और इसमें प्राप्त समस्त सुख़ निरर्थक एवं अर्थहीन है। ग्रंथों में बड़ा सुंदर लिखा भी गया है भक्ति हीन सब सुख ऐसे।
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे। हमें भी अपने जीवन की सार्थकता हेतु श्रेष्ठ मार्ग का चयन एवं अनुसरण करना चाहिए। यह जीवन क्षण भंगुर है अतः उसके समाप्त होने से पहले ही हम भी भक्ति को प्राप्त करें।

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