कुलदीप राठौर की सिफ़ारिश पर प्रदेश कांग्रेस पार्टी में नये रक्त का संचार
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर की सिफ़ारिश पर जहाँ सारे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में नये रक्त का संचार करके इसे और अधिक सशक्त और सक्रिय बनाने का प्रयास किया है वहीं बिलासपुर जिले में पार्टी के अध्यक्ष पद का भार पूर्व विधायक बंबर ठाकुर जैसे तेजतरार और निर्भीक तथा निर्णायक कदम उठाने वाले नेता को सौंप कर निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के भविष्य को नई राहों और बुलंदियों पर ले जाने का कदम उठाया है |
यद्यपि इससे पहले भी कमलेन्द्र कश्यप जैसे समाज सेवी और निस्क्लंक पार्टी नेता को इस पद को सौंप कर पूर्व राज्य प्रधान सुखविंदर सिंह सुकखू ने उस समय बिलासपुर में एक प्रकार से ठहर सी गई कांग्रेस पार्टी की राजनीति को सक्रिय बनाने में और अधिक से अधिक युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी , किन्तु अब बंबर ठाकुर जैसा सक्रिय नया जिला प्रधान मिलने पर पार्टी टिकट भविष्य में बिलासपुर जिले में निश्चित रूप से भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभरेगी |
कालेज समय से ही संगठन को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका
यदि बंबर ठाकुर की पूर्व भूमिका पर एक दृष्टि दौड़ाई जाये तो स्पष्ट होता है कि वह कालेज समय से ही एक युवा कांग्रेसी नेता के रूप में उस संगठन को सशक्त और जीवंत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं | उस समय उन्होने कालेज में भी भाजपा से संबन्धित छात्र संगठन एबीवीपी को उभरने नहीं दिया था | इसी प्रकार उन्होने दो बार कांग्रेस पार्टी का टिकट न मिलने पर एक आजाद उम्मीदवार के रूप में विधान सभा चुनाव में खड़े होकर इतने अधिक वोट लिए कि हर बार उनका राजनैतिक कद समाज में निरंतर बढ़ता ही चला गया और अंत में कांग्रेस हाइ कमान को बंबर ठाकुर को पार्टी का टिकट दिये जाने की मांग को स्वीकार करना ही पड़ा |जिसके परिणाम स्वरूप ही पिछले चुनाव में इस युवा नेता ने तीन बार भाजपा के सांसद और पार्टी के राज्य अध्यक्ष रहे सुरेश चंदेल जैसे सशक्त नेता को विधान सभा के चुनाव में हरा कर सबको आश्चर्य चकित कर दिया था | क्यूँ कि उस समय चुनाव परिणाम से पहले शायद ही कोई राजनैतिक प्रयवेक्षक यह मानने को तयार हो कि बंबर ठाकुर भाजपा के दिग्गज नेता सुरेश चंदेल जैसे स्थापित नेता को चुनाव में पीठ लगा देंगे |
बंबर ठाकुर हार मानने वालों मे से नहीं
इस बीच इस बार अवश्य ही बंबर ठाकुर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा के धुआंधार और प्रभावशाली प्रचार के आगे निश्चित ही मात खा गए , किन्तु बंबर ठाकुर हार मानने वालों मे से नहीं हैं | क्यूँ कि उन्हें जे पी नड्डा के जिस सशक्त दायें बाजू कहे जाने वाले भाजपा उम्मीदवार सुभाष ठाकुर से हार का सामना किया है , वह अपने आप में सूरज की रोशनी में चमकता हुआ एक सितारा मात्र है और कुछ प्रयवेक्षकों की राय में वह बंबर ठाकुर के फील्ड को हिला देने वाले सम्पर्क के आगे कहीं नहीं ठहरता है |
अब भी विधान सभा के चुनाव में अपनी हार के बाद बंबर ठाकुर फील्ड में पूर्ण रूप से सक्रिय है और संसदीय चुनाव में पार्टी टिकट की मांग करके उन्होने इस अभियान में एक नया अध्याय जोड़ा है,क्यूँ कि यदि कहीं कांग्रेस पार्टी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से उन्हें टिकट देने का निर्णय लेती है तो निश्चित रूप से वे एक बार फिर भाजपा के स्थापित नेता अनुराग ठाकुर के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी करने वाले हैं |