बिलासपुर लेखक संघ और भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में हो रही कार्यशाला
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
बिलासपुर लेखक संघ और भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में आज चाँदपुर स्थित व्यास सभागार में दो दिवसीय लेखन एवं सांस्कृतिक कार्यशाला का शुभारंभ सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी देवराज शर्मा द्वारा किया गया । इनके साथ रोशनलाल शर्मा प्रधान बिलासपुर लेखक संघ , नीलम चंदेल जिला भाषा अधिकारी , सुरेंद्र मिन्हास ,कर्नल जसवंत सिंह चन्देल वी0एस0एम0 विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यशाला में लगभग 35 सदस्यों ने भाग लिया ।
कार्यशाला के प्रथम सत्र के प्रथम भाग में डॉ विजय कुमार पुरी, पालमपुर ने हिंदी कविता उद्भव एवं विकास के बारे में चर्चा की। अपनी चर्चा में विस्तारपूर्वक बात करते हुए डॉक्टर पुरी ने कहा कि हिंदी कविता छंद बद्ध से छंद मुक्त की तरफ बढ़ रही है ।हिंदी साहित्य में सबसे बड़ी कमी हिंदी लेखकों का सामानान्तर और शास्त्रीय साहित्य को पढ़ने में रुचि का कम होना है ,जिस कारण शॉर्टकट तरीके से काव्य रचना की जा रही है जिसमें समाज में रचनाओं की प्रासंगिकता में कमी हो रही है ।उन्होंने आग्रह किया कि एक अच्छे रचनाकार के लिए दूसरे रचनाकार की रचनाओं को पढ़ना और अध्ययन करना लेखन के प्रति उनकी सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा दे सकता है। प्रथम सत्र के दूसरे सत्र में हिंदी कविता लेखन नामक विषय पर लेख राम शर्मा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य कॉलेज कैडर ने प्रशिक्षुओं को हिंदी लेखन की बारीकियों के बारे में उनका मार्गदर्शन किया। डॉक्टर शर्मा ने बताया कि रचना करने के लिए भाषा पर पकड़ और उसके शब्दों और मुहावरों का चयन सोच समझ कर किया जाना चाहिए ताकि कविता के माध्यम से संवेदनशीलता या संदेश को जीवित रखा जाए ।जल्दबाजी में की गई तुकबंदी कई बार काव्य रचना में अनर्थ भाव को प्रकट करती है, इससे बचना चाहिए ।डाक्टर शर्मा ने काव्य के प्रकार जिसमे ज्ञानवर्धक एवम संवेदनशील साहित्य शामिल हैं पर चर्चा की।रोशनलाल शर्मा और कर्नल जसवंत चंदेल ने अपने अनुभवों पर आधारित समीक्षाएं और पत्रवाचन किया।भोजन अवकाश के बाद बाल साहित्य पर डॉक्टर हेमा ठाकुर नम्होल ने अपने विचार प्रकट करते हुए बाल साहित्य के ऊपर साहित्य जगत की जिम्मेदारियों का वर्णन किया और बताया कि किस प्रकार से बाल साहित्य बालकों को समाजिक और मानसिक रूप से प्रखरता प्रदान कर सकता है।यदि बाल साहित्य बालकों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देता है तो बालक समाज का उद्धार कर सकते हैं अंतिम सत्र में बाल साहित्य उपयोगिता के ऊपर पवन चौहान सुंदर नगर ने अपने विचार रखे। प्रशिक्षुओं को बताते हुए श्री चौहान ने बताया कि बाल साहित्य किसी भी समाज के लिए अत्यंत उपयोगी है आज के दौर में जब सोशल मीडिया और टेलीविजन पर विभिन्न प्रकार के नैतिक और अनैतिक कार्यक्रमों की भरमार पड़ी है ऐसे में एक सुसंस्कृत बाल साहित्य समाज निर्माण के लिए बहुत उपयोगी हो जाता है।श्री अमरनाथ धीमान एवम कर्नल जसवंत सिंह चन्देल ने संयोजक के रूप में भूमिका अदा की।कार्यशाला में रविंद्र कुमार शर्मा , बुद्धि सिंह चंदेल , राजेंद्र कुमार बंसल, एनआर हितैषी,बीरबल धीमान, नीलम चंदेल, रविंद्र चंदेल कमल, वीना वर्धन ,विजय कुमारी सहगल, ललिता कश्यप ,विक्रम कुमार ,इंद्र सिंह चंदेल ,जावेद इकबाल, हेमा ठाकुर ,अनिल शर्मा नील,जसवंत सिंह चंदेल ,द्वारिका प्रसाद ,भीम सिंह नेगी , श्री रूप शर्मा ,हेमराज शर्मा ,सीताराम शर्मा ,लशकरी राम ,सुशील पंडित, लेख राम शर्मा ,पवन चौहान , कृष्ण चंद्र महादेविया , गंगाराम, प्रोमिला भारद्वाज ,सुनीता शर्मा ,यशपाल चंदेल ,वनीता चंदेल, विश्वजीत शर्मा इत्यादि सदस्यों ने भाग लिया।कार्यशाला में लेखक संघ द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गयी।