जिला टोली, विषय प्रमुखों तथा संकुल प्रमुखों को दिए गए निर्देश
गरीबी के कारण 5 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे: हेमचन्द्र
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
हिमाचल शिक्षा समिति की प्रांत कार्यकारिणी, जिला टोली, विषय प्रमुखों तथा संकुल प्रमुखों की सत्र 2019-20 के कार्यक्रम निर्धारण हेतु प्रांत योजना बैठक सरस्वती विद्या मन्दिर निहाल सैक्टर बिलासपुर में संपन्न हुई। बैठक में क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख राजेन्द्र कुमार विशेष तौर पर शामिल रहे। इस अवसर पर राष्ट्रीय मंत्री हेमचन्द्र ने कहा कि भारतवर्ष में 32 प्रतिशत लोग गरीब हैं। गरीबी के कारण 5 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। उनके पास पहनने के लिए वस्त्र, भोजन, रहने के लिए घर नहीं हैं। इसलिए सभी का यह दायित्व उस समाज को समरस और सुसंपन्न बनाने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती उसके लिए कार्य कर रही है। जम्मू कश्मीर के कठिन क्षेत्रों में 3303 एकल विद्यालय चल रहे हैं। पूर्वात्तर भारत में अपना कार्य बढ़ रहा है। विद्या भारती के प्रयत्न व हमारा दायित्व उस समाज के लिए क्या है इसकी चर्चा करना। वहां हमारा सहयोग हो सके इसके लिए समर्पण के लिए व्यापक संपर्क अभियान लिया जाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले सूची बनाना, फिर संपर्क करना, प्रांत टोली, जिला टोली, प्रबन्ध समिति, प्रधानाचार्य से लेकर आचार्य तक सभी को 10-10 परिवारों से संपर्क करना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय की निश्चित की गई तिथि अनुसार प्रभावी कार्यक्रम हों। वन्दना सत्र में 10 दिनों पूर्व से देश की स्थिति का वर्णन करना। उन्होंने कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी कार्यकर्ता अपने जिम्मे विद्यालय लेकर प्रवास करें, योजना बनाएं। प्रान्त समिति, जिला समिति, संकुल समिति, स्थानीय प्रबन्ध समिति के सदस्यों, प्रधानाचार्य, आचार्य, अभिभावक, पूर्व छात्र एवं भैया/बहिनों सभी का समर्पण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज निर्माण के पवित्र काम को लेकर हम भारतमाता को परम वैभव तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आहवान किया कि 12 वर्ष में ज्ञान दुगना हो रहा है। अपने ज्ञानवर्धन की आवश्यकता है। विद्यालय आधारित प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। इतनी बड़ी योजना टोली के सहयोग से ही संभव है। कार्य का श्रेय दूसरे को देना। कार्य की योजना करना व उस योजना का क्रियान्वयन होना चाहिए। योजना बैठक में तय किया गया कि प्राथमिक कक्षाओं में एक ही संस्कृत आचार्य द्वारा शिक्षण किया जाए। प्रत्येक विद्यालय से आचार्य पत्राचार द्वारा संस्कृत सीखें। संकुल स्तरीय संस्कृत उत्सव सभी संकुलों में आयोजित किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त आगामी सत्र के वार्षिक कार्यक्रमों का भी निर्धारण किया गया।