जनवक्ता ब्यूरो,शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार, भारत सरकार और विश्व बैंक ने आज नई दिल्ली में आयोजित बैठक में ग्रेटर शिमला क्षेत्र में सीवरेज सेवाएं व जलापूर्ति में सुधार लाने के लिए कुल 986 करोड़ रूपए की समझौता ऋण राशि में से 292 करोड़ रूपए के विकास नीति ऋण-1 (डीपीएल 1) पर हस्ताक्षर किए।
प्रधान सचिव, शहरी विकास प्रबोध सक्सेना ने राज्य सरकार की ओर से ऋण समझौते और कार्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किए। अतिरिक्त सचिव आर्थिक मामले विभाग (डीईए) समीर खरे, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने कानूनी और कार्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किए। निदेशक डीईए बंदना प्रेयसी इस बैठक में उपस्थित थी। कन्ट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद और टीम लीडर स्मिता मिश्रा ने बैठक में विश्व बैंक का प्रतिनिधित्व किया।
विभिन्न घटकों को शिमला जल आपूर्ति और सीवरेज परियोजना के तहत कवर किया जाएगा, जिसमें सतलुज से जल आपूर्ति प्रणाली का निर्माण और 366 करोड़ रुपये की लागत से 107 एमएलडी की जलापिर्त के लिए गिरि और गुम्मा पंपिग सिस्टम का पुनर्वास, 270 करोड़ रुपये की लागत से जल वितरण में सुधार और पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए) शामिल हैं।इसके अतिरिक्त 246 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज और नेटवर्क का विस्तार, 104 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमैंट संयंत्रों का पुनर्वास और क्षमता वृद्धि की जाएगी। इस परियोजना से प्रति व्यक्ति पानी की आपूर्ति 135 लीटर प्रति दिन संभव हो सकेगी।
यह जलापूर्ति से सम्बन्धित पहला विकास नीति ऋण है, जिसमें राज्य सरकार अपने नागरिकों को पेयजल और सीवरेज सेवाओं में विश्व स्तरीय सेवा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, संस्थागत सुधार, वल्यूमेट्रिक टैरिफ, पानी के कनैक्शन, उर्जा क्षमता तथा उपभोक्ता संतुष्टि से सम्बन्धित नीतिगत स्तर के फैसले लिए हैं। विश्व बैंक के साथ सहमत सभी पूर्व कार्यो की सफलता पर राज्य सरकार ने डीईए भारत सरकार को विश्व बैंक से डीपीएल-1 पर बातचीत के लिए कहा है। इस जल परियोजना के लिए प्रबंध प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। बैठक में विश्व बैंक के साथ बातचीत द्वारा समय-सीमा का निर्धारण किया जाएगा।
उप आवासीय आयुक्त विवेक महाजन, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिमला जल प्रबधन निगम लिमिटेड(एसजेपीएनएल) डॉ. धर्मेद्र गिल समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर उपस्थित थे।