भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय के बैठक कक्ष में मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा संस्कृति भवन के बैठक कक्ष में मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ज़िला भाषा अधिकारी नीलम चन्देल ने की तथा मंच का संचालन रविन्द्र भट्टा द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती की ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम के आरम्भ मंे सभी साहित्यकारों द्वारा पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों व साहित्यकार व पत्रकार नामवर सिंह के निधन पर दो मिनट का मौन ररखकर श्रदांजली अर्पित की। इसके उपरान्त जीत राम सुमन द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। आनन्द सोहर ने ‘‘ बहुत सह लिए घातक हमले, अब ताकत दिखलानी होगी, कुटनीति तो बहुत देख ली, अब कूटो नीति अपनानी होगी ‘‘ । सुरेन्द्र मिन्हास ने -कश्मीरा रे नेते बी देखो यारो रोटियां म्हारे मुलखे री खांदे, पीठी पर छुरा मारदे कने गुण पडोसी मुलखारे गान्दे। अमरनाथ धीमान ने पहाड़ी रचना ‘‘ अपने दिलारे दुखडे़ किस जो सुणाऊं, सब कुछ चुचचाप सहणा पया,। एस.आर. आजाद ने – हुण कजी री नलवाड़ी, हूण कजी रा मेला । रविन्द्र चन्देल ने ‘‘ वीरों की इस पावन धरा पर, हर पग आगे बढ़ता हूं। नरैणु राम हितैषी ने ‘‘आदमी के खून का ही, आदमी प्यासा मिला। रविन्द्र भटटा ने ‘‘ मैं खोए हुए वक्त की पहचान बनता जा रहा हूं। अरूण डोगरा रितू की रचना की पंक्तियां थी-चारों और फैला आक्रोश है, है फैली हुई शोक लहर, अब तो केवल आतंकीस्तान से बदला लेना शेष है। हुसैन अली हुसैन ने -खुदा ऐ – रसूल का उम्मति हूं,पांचों वक्खत दुआ-ए-हिफाज़त वतन की मांगता हूं। बुद्धि सिंहं चन्देल ने ,चल चला चल चल राही तू चल चला चल, चल । जीतराम सुमन ने ‘‘ मत भूलना शहादत हमारी ‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। सत्या शर्मा ने -पुलवामा के वीर शहीदो सहस्त्र नमन है तुम्हें हमारा‘‘। प्रतिभा शर्मा ने – मेरे देश में रोज दीवाली हो, न जेब किसी की खाली हो ‘‘ । रामपाल डोगरा ने – आऊं ग्लांदा रैहन्गा, तू लिखदा रेयां । प्रदीप गुप्ता ने – ऐसी पत्नी पाकर मैं फुल न समाया‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तिया थी- मेरी पत्नी बड़ी सयानी, उसके आगे कोई भरे न पानी ‘‘। सरस्वती देवी ने – ‘‘ नापाक‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। नवोदित कवि निखिल चौधरी ने ‘‘ बचपन ‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। कविता सिसोदिया ने वटसऐप के माध्यम से हिन्दी जगत के महशहूर साहित्यकार आलोचक एवं पत्रकार नामवर सिंह जी के निधन पर उनके बारे मंे कुछ लाईनें बोली। उनका पिछले कल दिल्ली में निधन हो गया वे 92 वर्ष के थे। इसके अतिरिक्त कौशल्या देवी ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की। इस अवसर पर इन्द्र सिंह चन्देल, कान्ता देवी, प्यारी देवी आरती, मंजु, ज्योती, शालिनी, अनुभव, अभिषेक शर्मा भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे।
अन्त में ज़िला भाषा अधिकारी ने दिवंगत साहित्यकार एवं आलोचक नामवर सिंह के जीवनवृत पर संक्षिप्त परिचय दिया तथा कहा कि हमने एक महान साहित्यकार खो दिया है जिसकी सम्पूर्ण साहित्यिक जगत के लिए पूर्ति असंम्भव है। उन्होंने सभी कवियों एवं साहित्यकारों का इस संगोष्ठी में सुन्दर रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार व्यक्त किया।