हिंसा करने वाले कभी भी इस्लाम के अनुयायी नहीं हो सकते /blockquote>
प्रधानमंत्री से जल्द शहादत का बदला लेने की अपील
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
इस्लाम में हिंसा और दहशतगर्दी जैसे शब्दों के लिए कोई स्थान नहीं है। अमन ओ चैन में बसर करने तथा मुल्क को शांति से रहने का संदेश देने वाले इस्लाम धर्म का दायरा और सोच बहुत बड़ी है। ऐसे में हिंसा करने वाले कभी भी इस्लाम के अनुयायी नहीं हो सकते। यह बात जामा मस्जिद बिलासपुर के प्रधान मोहम्मद हारून ने शुक्रवार को जुम्मा की नमाज अता करने के बाद सभी मुस्लिम भाईयों को संबोधित करते हुए कही। हारून ने कहा कि हिंदुस्तान मुल्क में हर धर्म, मजहब, जाति के लोग एकजुट होकर शांति से रहते हैं। लेकिन कुछ विदेशी ताकतें निरंतर हस्तक्षेप कर रही हैं। उन्होंने कहा कि देश की अस्मत पर बूरी नजर रखने वाले मुगालते में न रहें क्योंकि गंगा जमुनी तहजीब के इस देश की रक्षा के लिए सभी एकजुट होकर अपने प्राणों की आहुति देने के लिए सदा तैयार हैं। मोहम्मद हारून ने कहा कि पुलवामा में हमारे नौजवानों को शहीद करने वालों ने कायराना काम करके साबित कर दिया है कि वे सामने से लडऩे वालों में से नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन ताकतों के इशारे पर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है यह सब ज्यादा
दिनों तक चलने वाला नहीं है। उन्होंने तमाम मुस्लिम समुदाय की ओर से इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए प्रधानमंत्री से जल्द शहादत का बदला लेने की अपील भी की। इस अवसर पर पुलवामा घटना में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों की आत्मा की शांति के लिए विशेष तौर पर दुआ की गई तथा दो मिनट का मौन रखकर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर जामा मस्जिद प्रधान हारून मोहम्मद के अलावा पूर्व पार्षद वीर दीन, जमील खान, नईम शेख, अल्पसंख्यक समुदाय प्रधान(कांग्रेस) हुसैन अली, अल्पसंख्यक वैलफेयर कमेटी के प्रधान मोहम्मद नसीम,अल्पसंख्यक जिला प्रधान (भाजपा) इब्राहिम लोधी, अल्पसंख्यक ब्लॉक प्रधान(भाजपा) मोहम्मद सलीम, हबीब खान, मोहम्मद अमीन, अनीश, असलम, आजम खान, मुनीष खान, असलम खान, शीन मोहम्मद व जामा मस्जिद कार्यकारिणी के सभी सदस्य तथा मुस्लिम समुदाय के सैंकड़ों लोग मौजूद थे।