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पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए साहित्यक संगोष्ठी आयोजित

Byjanadmin

Feb 24, 2019


सीआरपीएफ सेवानिवृत कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि व प्रतिभा शर्मा ने अध्यक्ष के रूप में शिरकत की

जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
बिलासपुर प्रेस क्लब में रविवार को अखिल भारतीय साहित्यक परिषद एवं कहलूर साहित्यक मंच के संयुक्त तत्वाधान में पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए साहित्यक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें सीआरपीएफ सेवानिवृत कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि व प्रतिभा शर्मा ने अध्यक्ष के रूप में शिरकत की। व्यापार मंडल के महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। रविंद्र भटटा ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर कुलदीप चंदेल ने .. शहीदों की जाति पूछे राजनीति के दलाल, सरहद पर गोली खाए भारत मां के लाल, तथा भारत मां के वीरों का यशोगान करें, आओ उन्हें प्रणाम करें। सुशील पुंडीर ने ..जाग उठा ङ्क्षहंदुस्तान , सुन ने पाक्सितान, प्रदीप गुप्ता ने .. तिरंगे लहराता पूरी शान से, मिली आजादी शहीदों के बलिदान से, जीत राम सुमन ने .. सेना पर जो पत्थर फैंके , उन्हें समझा दो , गांधी के ये गाल नहीं, उन्हें समझा दो। कर्ण चंदेल ने वोट की राजनीति पर प्रहार करते हुए भारत का प्रोपगेंडा सैल तैयार करने की बात कही। राम पाल डोगरा ने पुलवामा की हकीकत। डा.प्रशांत अचार्य ने रानी लक्ष्मी बाई को संबोधित करते हुए कहा कि वो रानी जो न बसे महल, जो जन -जन के थी हृदय की कमल, रत्न चंद निर्झर ने .. ओ मां मुझे माफ करना, े कैसे दिखाउं तूझे पीठ। यासीन मिर्जा ने कहा कि पुलवामा हमले के दिन उनका सैनिक बेटा भी कश्मीर में था। उन्होंने पाक्स्तिान को ललकारते हुए कहा कि तेरे चेहरे पर जो गरूर है या समझ मेरा ही कसूर है, इस गंगा जमुनी तहजीब से हम सारे आलम में मशहूर हैं। हुसैन अली ने .. वतन पे मिटने वालों के लिए दुआ मांगे, दहशत गर्दो को जो निपटाए , ऐसा खुदा मांगे। ओंकार कपिल ने मशहूर गीत चिठठी न कोई संदेश सुनाया। सेवानिवृत डीपीआरओ आनंद सोहर ने … आतंकवाद का मोहरा बनकर भारत को आया धमकाने, पिछली मारें गया है तू, फिर आया है तू कोई गुल खिलाने। प्रतिभा शर्मा ने पाक नाम रखा है, पर काम सारे नापाकों के, बीर सैनिक देश खातिर रात दिन दे रहे पैहरे। डा.जय नारायण कश्यप ने समर्थक नहीं हूं युद्ध का कवि, पर समर्थक भी नहीं हूं गांधी बुद्ध का , पाडंवों की रीत छोड़ दी है हमने, देखते रहिओ नक्शे पर ढूंढते नहीं मिलोगे। शिव पाल गर्ग ने .. कुछ लोग शहर में ऐसे भी रहते हैं, आंखों से जो वे सुनते , आंखों से वे कहते हैं। अश्विनी सुहिल ने … साथी घर जाकर मत कहना। सुख राम आजाद ने .. विमल कृष्ण अष्ट के असरार सुनाते हुए कहा कि हम लोग हिंदुस्तानी हैं, सीने में मुहब्बत रखतें हैं। रविंद्र भटटा ने .. तुमने देखा इबादत खाने में कविता सुनाई। आखिर में मु यतिथि कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि हमारे सैनिक सरहद पर तैयार बैठे हैं। जरूरत राजनैतिक इच्छा शक्ति की है। उन्होंने कहा कि हकीकत में नहीं , वाबों में चले आओ, जिंदगी जीने के लिए एक बार तो चले आओ।

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