जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि पर पन्तेहडा में दो दिवसीय कृषि प्रशिक्षण शिविर आयोजित
आतमा परियोजना बिलासपुर द्वारा घुमारवीं विकास खण्ड के पन्तेहडा में 27 व 28 फरवरी को दो दिवसीय शुन्य लागत प्राकृतिक खेती पर आधारित वैकल्पित विधि को अपनाने के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। शिविर में 5 पचांयतों के 45 कृषकों व महिलाओं ने भाग लिया। प्रथम दिवस परियोजना निदेशक आतमा बिलासपुर डा0 प्रकाश चन्द ठाकुर ने अध्यक्षता करते हुए कृषकों को शुन्य लागत प्राकृतिक खेती की उपयोगिता, आवश्यकता पर बल देते हुए किसानों को जहर मुक्त अनाज, सब्जियां, दलहन व तिलहन की खेती करने के तरीके बताए। उन्हांेने बताया कि रबी 2018¬19 से जिला बिलासपुर के 188 कृषकों ने इस खेती को शुरू कर दिया है। आगामी वर्ष 2019¬20 तक इस खेती को धरातल पर उतारने के लिये 4 हजार 9 सौ कृषकों को लाया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिला, प्रदेश व प्रदेश से बाहर इस खेती को कर रहे माडल खेतों में भ्रमण व प्रशिक्षण के लिए किसानों को भेजा जायेगा। विषयवाद विशेषज्ञ राजेश कुमार ने इस खेती में प्रयोग होने वाली सामग्रियों की जानकारी दी। जबकि बी0टी0एम0 सुदर्शन चन्देल व ए0टी0एम0 सुरेश कुमार ने भी कृषकों को इस खेती में प्रयोग होने वाली सामग्री जीवामृत व बीजामृत को मौके पर उपस्थित कृषकों को बना कर उपयोग विधि भी बताई। दूसरे दिन कार्यक्रम में शुन्य लागत प्राकृतिक खेती मिशन के प्रदेश कार्यवारी निदेशक डा0 राजेशवर चन्देल ने अध्यक्षता करते हुए किसानों का आहवान किया कि पिछले वर्ष इस खेती के अतर्गत 500 किसानों के लक्ष्य को पार करते हुए प्रदेश के 2500 से ज्यादा किसानो को इस खेती में जोडा गया है। वर्ष 2022 तक हिमाचल प्रदेश के 9 लाख 61 हजार किसान परिवारों को इस खेती में जोडने का लक्ष्य है। उन्होने बताया कि एक देशी गाय के गोबर व गौमूत्र से 150 बीघा तक खेती की जा सकती है। इस खेती में सीधे तौर पर गोबर खाद व कम्पोस्ट, रासायनिक खाद व कृत्रिम पौध सरक्षण दवाईयों का कोई प्रयोग नही होता। आतमा परियोजना बिलासपुर के उप परियोजना निदेशक ने बताया कि शुन्य लागत प्राकृतिक खेती कर रहे कृषकों के खेतों से फूलगोभी, मटर, पालक, धनिया व मैथी का उत्पाद निकलना शुरू हो चुका है। जिला में लगे सभी प्रर्दशन प्लाटों में अभी तक फसल की स्थिति बहुत अच्छी है। उन्होंने बताया कि शिविर में भाग ले रहे कृषकों, महिलाओं व बागवानों ने इस खेती को करने के लिए इच्छा व्यक्त करते हुए आगामी समय में सब्जियां, फल व बगीचों में इस खेती को शुरू करने का मन मना लिया है इस विधि में उत्त्पादन लागत बहुत कम होने यानि शुन्य लागत की वजह से किसान असानी से वर्ष 2022 तक अपनी दुगनी आमदन प्राप्त कर सरकार के लक्ष्य को अवश्य पूरा करेगें।