हिमाचल प्रदेश जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्याधिक संवेदनशील डॉ. सुरेश अत्री
आमजन के साथ कृषि व्यवस्था पर भी पड़ रहा है जलवायु परिवर्तन का असर
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
वैश्विक जलवायु परिवर्तन हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह ग्लोबल वार्मिंग का दुष्परिणाम है। इससे निपटने के लिए सभी को संयुक्त प्रयास करने होंगे। यह बात उपायुक्त विवेक भाटिया ने होटल लेक व्यू में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग हिमाचल सरकार द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से जर्मन संस्था के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से समस्याओं के हल ढूंढने में सहायता मिलती है और इस प्रकार के कार्यक्रमों की निरन्तरता लगातार जारी रहनी चाहिए।
उन्होंने बिलासपुर जिले से संबंधित विभिन्न जलवायु संबंधी ज्वलंत मुद्दों पर प्रतिभागियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर की विकासात्मक गतिविधियां जलवायु परिवर्तन अनुकूलन सम्बन्घित सुझावों को ध्यान में रख कर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनियमित व कम वर्षा के कारण किसानों को भी नुकसान का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मौसम में परिवर्तन का असर देश की कृषि व्यवस्था पर भी पड़ रहा है जो आर्थिक स्मृद्धि को भी प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने के लिए सभी को सांझे साकारात्मक प्रयास करने होंगे। उन्होंने लोगों को अक्षय उर्जा की तरफ कदम बढ़ाने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में जिला स्तर पर निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की क्षमताओं को सुदृढ़ करना, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों से योजनाओं का कार्यान्वयन, जलवायु परिवर्तन प्रभावों निगरानी और मूल्यांकन करना है।
पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ और कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुरेश अत्री ने जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों की आवश्यकता बताई। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर राज्य सरकार की विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्याधिक संवेदनशील है और इसका प्रभाव डेंगू, पीलिया, क्लाउडब्रस्ट, फ्लैश फ्लड के रूप में दिखाई दे रहा है। उन्होंने पंचायतों से पर्यावरण की रक्षा में एक सक्रिय भूमिका निभाने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल योजना बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का अपेक्षित परिणाम विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु प्रभावों को समझने और उभरते जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के आधार पर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन आधारित योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए हितधारकों की क्षमता को बढ़ाना है।
हि0प्र0.विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी.एस. मढ़, ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर पॉवर पॉइंट प्रस्तुति दी। सीटीआरएएन संस्था के विशेषज्ञ डॉ. बरेन्द्रसाहू ने कंदरौर पंचायत में चलाई जा रही परियोजना पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दी। बीडीओ गौरव धीमान ने भी अपने सुझाव रखे।
इस मौके पर नगर परिषद अध्यक्षा सोमादेवी और नगर पार्षदों, 39 पंचायतों के प्रधानों, वार्ड सदस्यों, पंचायत सचिवों और विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 90 प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।