जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
इस समय डाक विभाग मेन पिछले कोई एक वर्ष से अधिकांश स्थानों पर डाक घरों में पैदा हुई लापरवाही, अव्यवस्था और दायित्व हीनता चरम सीमा पर है। यह आरोप हर उस व्यक्ति का है जो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से डाक विभाग के संपर्क में रहे हैं। उनका कहना था कि एक समय था जब 6-6 मास के बाद और कभी कभी वर्षों के बाद अपने आधे अधूरे पते अथवा पूरा पता न होने के बावजूद भी , तब दो पैसे का पोस्ट कार्ड डाक विभाग द्वारा उसके वास्तविक व्यक्ति तक पहुंचाया जाता था, तब उस पोस्ट कार्ड का प्राप्त कर्ता उस पर लगी विभिन्न डाकघरों की सील की तिथि और उसके विभिन्न स्थानों से विभिन्न डाक घरों घूम कर संबन्धित व्यक्ति तक पहुँचने का समाचार देने के लिए पत्रकारों के पास पहुंचता था। पत्रकार भी इस कर्तव्य निष्ठा के लिए उन समाचार को प्रमुखता से छाप कर डाक विभाग की प्रशंसा करते हुए कर्मचारियों की योग्यता और उतरदायित्व निभाने के लिए उनकी सराहना करते थे, किन्तु अब यदि डाक विभाग में सेवा भाव के दर्शन देखने को मिल जाए तो डाक प्राप्त कर्ता विभाग को धन्यवादी समझता है। इन लोगों का कहना था कि तब डाक विभाग और तार विभाग अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही विभाग होता था और तब विभाग के कर्मचारी अपना उत्तरदायित्व ईमानदारी और निष्ठा से निभा कर लोगों की प्रशंसा अर्जित करते थे किन्तु अब विभाग अलग-अलग होने पर लोगों को उनके पाँच रुपए के पत्र तक कई बार प्राप्त ही नहीं होते और यह पता नहीं चल पाता है कि आखिर उन्हें उनके किसी निकट संबंधी द्वारा डाला गया जरूरी पत्र कहाँ गया ? उनका कहना था कि अब बिना किसी औपचारिक घोषणा के ही बिना रजिस्ट्र किए या कोरियर किए जाने वाले पत्र लोगों तक नहीं पहुंचाए जाने के किन्हीं आदेशों का पालन हो रहा है जिससे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना था कि अब तो कुछ महंगी और आवश्यक पत्र-पत्रिकाएँ भी उपभोक्ताओं तक नहीं पहुँच पा रही हैं और रास्ते में ही गायब हो रहीं हैं , जिस कारण लोगों का डाक विभाग पर से विश्वास उठता जा रहा है। उन्होंने संबन्धित विभाग के उच्चाधिकारियों से आग्रह किया है कि विभाग को चुस्त दरूस्त करने और इसमें व्यवस्था लाने के आदेश दिये जाएँ और सभी प्रकार के पत्रों व डाक आदि को संबन्धित व्यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए।