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परमात्मा से मिलने के लिए भागवत की शरण में आना आवश्यक : पंडित परमानंद जी महाराज

Byjanadmin

Mar 2, 2019


जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
डियारा सेक्टर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रही महा शिव पुराण कथा में शनिवार को प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए सुप्रसिद्ध कथा वाचक एवं पंडित परमानंद जी महाराज ने कहा कि तनावपूर्ण जीवन तथा मानसिक संकीर्णता के कारण जीव तरह-तरह की समस्याओं में उलझा रहता है। दुनिया में जितने भी जीव हैं सभी शांति चाहते हैं तथा इसे पाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं। मनुष्य जीव भी शांति के लिए इधर-उधर भटकता रहता है। आधुनिकता के सहारों से मिलने वाली शांति क्षणिक होती है जिसका वह लंबे समय तक परिमार्जन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि परमेश्वर से बिछुड़ा जीव जब तक उनके पास नहीं पहुंच जाता शांति नहीं मिल सकती है। पंडित जी ने कहा कि परमात्मा से मिलने के लिए भागवत की शरण में आना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संत ऐसे होते हैं कि यदि उनका कोई अपमान भी करे तो भी वे कल्याण ही करते हैं। इस दौरान उन्होंने राजा परीक्षित की एक कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि कलियुग रूपी राक्षस जब पृथ्वी रूपी गाय तथा धर्म रूपी बैल को मार रहा था तो राजा परीक्षित ने उसे रोकने का प्रयास किया। कलियुग बैल की तीन टांगे तोड़ चुका था। कलियुग ने राजा से कहा कि राजन समय बहुत बलवान है तथा अब समय मेरा है। कलियुग ने चक्रवर्ती राजा से अपने लिए उपयुक्त स्थान मांगा तो राजा ने उसे वैश्यालय, मदिरालय तथा हिंसात्मक स्थान दे दिया। कलियुग ने राजा से अच्छी जगह मांगी तो उन्होंने कहा कि तुम सोने पर वास करो क्योंकि कलियुग में सोना ाी विनाश का ही कारण बनेगा। कलियुग एक दम से राजा के सोने के मुकुट पर बैठ गया। पंडित ने इस कथा का भावार्थ समझाया कि धूर्त को किसी भी स्थान पर रखो वह छल ही करेगा। कथा समापन पर आयोजकों की ओर से प्रसाद वितरण भी किया गया। इस दौरान पंडित भास्करानंद तथा पंडित पुनीतानंद ने अपनी सुरीली आवाज में मनमोहक भजन सुनाकर माहौल को और भक्तिमय बनाया। कथा समापन भजन कीर्तन के बाद प्रसाद वितरण भी किया गया।

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