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मछली उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव की ओर हिमाचल

Byjanadmin

Mar 3, 2019

इस वित्त वर्ष के दौरान 100 अतिरिक्त ट्राउट कृषि इकाइयों के निर्माण का निर्णय

सरकार ने निजी क्षेत्र के सहयोग से दो ट्राउट हैचरी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा

जनवक्ता डैस्क, बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश की बारहमासी नदियाँ मछुआरों के ट्राउट उत्पादन के साथ-साथ मछुवारों को आय सृजन के अपार अवसर प्रदान करती हैं। राज्य सरकार मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जिसके लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है।
प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान 100 अतिरिक्त ट्राउट कृषि इकाइयों के निर्माण का निर्णय लिया है। इसके अलावा, कार्प मछली के उत्पादन के लिए 10 हेक्टेयर में तालाबों का निर्माण भी किया जएगा। इस निर्णय से लगभग 550 और लोगों को रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे।
उत्पादन बढ़ाने के लिए मछुआरों की ट्राउट बीज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने निजी क्षेत्र के सहयोग से दो ट्राउट हैचरी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। राज्य सरकार निजी क्षेत्र की साझेदारी में कुल्लू जिले में एक स्मोक्ड ट्राउट और फिलेट टीनबंदी केंद्र भी स्थापित करेगी। उचित विपणन सहायता सुनिश्चित करने के लिए कांगड़ा, चंबा और शिमला जिले में एक-एक रिटेल आउटलेट निजी क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान बाढ़ और भारी बारिश के कारण ट्राउट फार्मिंग इकाइयों को हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान मछुआरों की ट्राउट फार्मिंग इकाइयों के लिए एक बीमा योजना की घोषणा की है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान मछली उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष कुल 11413.99 लाख रुपये मूल्य की 9302.44 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन निजी और मत्स्य पालन विभागीय के फार्मां में किया गया। इस अवधि के दौरान 546.31 लाख कार्प बीज और 15.118लाख ट्राउट बीज का उत्पादन निजी और विभागीय फार्म में किया गया। 287.48 लाख रुपये मूल्य का 141.668 लाख मछली बीज इस अवधि के दौरान राज्य के जलाशयों में इकट्ठा किया गया।
राज्य के 12,650 किसानों और मछुआरों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत श्खामिल किया गया है। राज्य में एक्वाकल्चर उत्पादकता को बढ़ाने के लिए विभागीय कार्प फार्मों में रीक्रिएक्शन एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) की स्थापना की जा रही है। राज्य के जलाशय से मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए, सीआसईएफआरआई, बैरकपुर, कोलकाता द्वारा एक वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है।
मत्स्य विभाग ने 20 हेक्टेयर मछली तालाब, 110 ट्राउट इकाइयां, 11 ट्राउट हैचरी, 4 फीड मिलें और 3 खुदरा दुकानों के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। इन सभी ट्राउट इकाइयों और मछली तालाबों में मछली बीज एकत्रित किया जाएगा। विभाग राज्य के जलाशयों से 800 मछुआरों को800 गिल नेट भी वितरित करेगा।
विभाग ने पशुधन बीमा योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है और केंद्र सरकार ने बीमा योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रदेश को सूचित किया है।
हिमाचल प्रदेश ने कोच्चि (केरल) के केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित मछली बाजार सूचना प्रणाली के तहत मछली उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री और खरीद की दिशा में पहल की है। यह एक ऑनलाइन पोर्टल है जहां खरीदार अपनी मांग रख सकते हैं और विक्रेता अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं। राज्य शीघ्र ही इस प्रणाली को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ा है।
मछली उत्पादन संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्साहित करना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, जो मछली उत्पादों के लिए फसल के बाद के बुनियादी ढांचे के विकास की परिकल्पना करता है और उन्हें लाभकारी बाजार उपलब्ध कराता है।

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