अरूण डोगरा रीतू
मुख्य संपादक जनवक्ता लाइव मंडी
सारे हिमाचल प्रदेश और भारत में शिव भक्ति का संचार करने के साथ-साथ जिला मंडी शहर की ऐतिहासिक महा-शिवरात्रि सारे विश्व को धर्म-संस्कृति और विश्व बंधुत्व का संदेश लेकर समरसता दिलाने आ रही है।जगत प्रसिद्ध मंडी शहर का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि उत्सव इस साल भी 5 मार्च से 14 मार्च 2019 तक मनाया जाना प्रस्तावित है। मंडी शहर में शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन रियासतकाल से ही अनवरत जारी है। मंडी शिवरात्रि की ब्युत्पति स्वयम्भू श्री बावा भूतनाथ से ही हुई है।जहाँ आज नई मंडी बसी है वहाँ बीहड-वीयवान जँगल था। एक गऊ माता जँगल में बावा भूतनाथ के शिवलिंग पर दुग्धधारा चढाती थी। एक चरवाहे ने तत्कालीन रियासतकालीन राजा अजवर सेन को इस अलौकिक कृत्य की जानकारी दी। पहले-पहल राजा ने विश्वास नहीं किया किन्तु स्वयम्भू बावा भूतनाथ जी ने राजा अजवर सेन को स्वप्न में दृस्टांत दिया और मंदिर स्थापना व नई मांडब्य नगरी बसाने की प्रेरणा दी। इस तरह राजा अजवर सेन ने सन् ईस्वी 1527 में बावा भूतनाथ मंदिर का निर्माण करवा नई मांडव्य जनपद बसाई। तदुपरान्त हर साल ही शिवरात्रि महोत्सव की परम्परा का संचार हुआ। आज वर्तमान में मंडी नगर छोटी काशी के नाम से भी धर्म संस्कृति की राजधानी मानी जाती है जिसके आराध्यदेव स्वयम्भू श्री बावा भूतनाथ है। आज अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला विश्व प्रसिद्ध मेला है। सर्वप्रथम शिवरात्रि महोत्सव का प्रारम्भ पहले दिन बावा भूतनाथ की सार्वजनिक पूजा से किया जाता है। राजा माधवराज की जलेब निकाली जाती है जिसमें हिमाचल के दूरदराज के देवी-देवताओं के रथ परम्परागत वाद्य यँत्रो के साथ हज़ारों देवलुओं के साथ भाग लेतें है। स्थानीय लोंगों में देवी-देवताओं के रथों को देवलुओं सहित ठहराने की भी अपनी-अपनी बारी की होड. मची रहती है। कमरूनाग का रथ कई सदियों से श्री टारना माता मंदिर में ही ठहरता आया है। शिवरात्रि-उत्सव के समापन पर सभी देवी-देवता चौहट्टा बाजार में सामूहिक समागम में मंडी जनपद के लोगों को अपना शुभ आशीर्वाद देते है ताकि आगामी शिवरात्रि तक सभी कुशल पूर्वक रहें।शिवरात्रि महोत्सव की रात्रिकालीन साँस्कृतिक संध्याओं का नजारा भी देखते ही बनता है।स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ माया नगरी मुम्बई के फ़िल्मी अदाकार भी खूब रँग जमाते हैं।शिवरात्रि-उत्सव धार्मिक, साँस्कृतिक व पर्यटन का सर्वाँगीण विकास भी सुनिश्चत करवाता आया है। मँडयाली साँस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। सारा मँडी शहर शिवरात्रि-उत्सव की रंगत में रंग जाता है। स्थानीय होटल व्यवसायिओं के सारे होटल पर्यटकों के लिए बुक रहते है।यही नहीँ मँडी शहर के सभी वार्डों के लोगों के पास मेहमान-नवाजी का भी ज़ोर रहता है। लोगों के अधिकांश रिश्तेदार अग्रिम तौर पर शिवरात्रि-उत्सव देखने के लिए अपने रहने के प्रबन्ध का आग्रह कई दिन पहले कर लेतें हैं। वर्तमान में शिवरात्रि-उत्सव एक बहुत बड़ा व्यापारिक मेला भी बन गया है।शिवरात्रि उत्सव मंडी के मुख्य आयोजन स्थल “पड्डल मैदान” का विस्तार आवश्यक हो गया है।विपाशा नदी (ब्यास-दरिया) की ओर ऐतिहासिक पड्डल मैदान का विस्तार नितान्त ज़रूरी है ताकि अन्तरास्ट्रीय शिवरात्रि -उत्सव का हर्षोल्लास बढ़ाया जा सके।सम्भवत: शिवरात्रि उत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री व समापन महामहिम राज्यपाल ही करते आये हैं। पड्डल मैदान में बड़े पैमाने पर समूचे हिमाचल प्रदेश के छोटे बड़े व्यापारी एक सप्ताह के मेलें में काफ़ी वस्तुओं का आदान प्रदान कर खूब मुनाफा कमाते है। ज़्यादातर ऊनी वस्त्रों के व्यापार का काफ़ी प्रचलन होता है। मेले के स्टाल शिवरात्रि उत्सव की समाप्ति पर भी जनता की मांग पर कई दिनों तक लगे रहते है।