बिना बने शहीद स्मारक का 2013 में कर दिया उद्घाटन, आज तक नहीं बन पाया स्मारक
शहीदों के नाम पर हमेशा हमीरपुर में होती रही राजनीति
जनवक्ता ब्यूरो, हमीरपुर
शहीदों के लिए यह कैसा सम्मान! शहीद स्मारक का शिलान्यास 19 फरवरी, 2012 को तत्कालीन सीएम प्रेम कुमार धूमल ने किया था, जबकि बिना बने ही इसका 9 अप्रैल 2013 को तब के नगर परिषद अध्यक्ष दीप कुमार ने उदयाघाटन भी कर दिया था। आज तक यहां शहीद स्मारक बना ही नहीं और 10 लाख से ज्यादा की राशि खर्च हो गई। शिलान्यास बाद अब इसकी भूमि को ही बदलने की योजना तैयार की गई । वजह यह भी बताई गयी कि आनन फ़ानन में शहीदी स्मारक का शिलान्यास किसी की मलकीयत भूमि पर ही कर दिया गया था । ज़मीन मालिक ने अपनी ज़मीन को चारदीवारी से कवर कर वहाँ दुकानें बना ली हैं। जिला भर से संबंधित भारतीय सेना के अलग-अलग ऑपरेशनों में आतंकवादियों के सफाए के लिए चलाए अभियानों में डेढ़ हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हो चुके हैं, लेकिन उनकी याद में बनाए जाने वाले शहीद स्मारक का कार्य ही शुरू नहीं हो पा रहा है। हालांकि, इसका शिलान्यास जहां हुआ है, अब वहां उचित रास्ता और भूमि के न होने की बात को देखते हुए वहां से इसका स्थान ही दूसरी जगह पर चयनित की जा रही भूमि पर करने की योजना तैयार की गई है।बताया जा रहा है कि हमीरपुर शहीदी स्मारक को चिल्ड्रन पार्क हीरानगर में भी बनाने के प्रयास हुए लेकिन बात सिरे न चढ़ पाई । अब तक लाखों की राशि इसको लेकर खर्च की जा चुकी है, लेकिन मात्र सियासत के बात आगे नहीं बढ़ पा रही। जब भी जिला भर से कोई सैनिक शहीद होता है, तो बनने वाले शहीद स्मारक की बातें तो नेता करते रहे हैं, लेकिन इस कार्य को कौन और कब पूरा करवाएगा, किसी के पास जवाब ही नहीं है। बिना बने ही इसका शिलान्यास और उद्घाटन अब एक बार फिर चर्चा में है।
2012 में हुआ था शिलान्यास
पक्काभरो के पास करीब 12 लाख की राशि से तैयार होने वाले इस शहीद स्मारक का शिलान्यास तत्कालीन सीएम प्रेमकुमार धूमल ने सांसद और विधायक की उपस्थिति में फरवरी 2012 को किया गया था। अप्रैल 2013 को तो तब नगर परिषद के अध्यक्ष से इसका उद्घाटन भी कर दिया है। लेकिन धरातल पर यह शहीद स्मारक बना ही नहीं है । इस पर करीब 13 लाख तक की राशि खर्च करने की भी बात सामने आई। अब इस शिलान्यास स्थल को बदल कर दडूही रोड़ के किनारे भूमि को प्रस्तावित किया गया है। जहां इस पर शहीद स्मारक बनाने की बात कही जा रही है। जब पहले भूमि का चयन हुआ और शिलान्यास तक करवा दिया गया, उस समय इन कमियों पर ध्यान किसी का क्यों नहीं गया यह बड़ा सवाल है।