प्राचीन लोक सांस्कृतिक के समवर्धन प्रचार व प्रसार के लिए एनजेडसीसी निभा रहा कारगर भूमिका- प्रो0 सौभाग्य वर्धन
जनवकता डेस्क, बिलासपुर
उपायुक्त विवेक भाटिया ने जनजातिय उत्सव के संदर्भ में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि नार्थ जोन कल्चर सैंटर पटियाला सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में जनजातिय महोत्सव 25 से 29 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान युवा पीढ़ी पर बढ़ते पाश्चात्य संस्कृति के प्रचलन के रूझान में उन्हें अपनी प्राचीन लोक विरासत की संास्कृतिक धरोहर से परिचित करवाने के लिए यह उत्सव अपनी कारगर भूमिका निभाएगा । उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्यों के इन कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों को प्रतिदिन सांय 5ः30 से आरंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत गौरव का विषय है कि पारंपरिक नलवाड़ी मेले के साथ- साथ इस वर्ष लोग सरस मेले का भी आनंद उठा रहे हैं, वहीं अब उन्हें जनजातिय महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक सांस्कृतिक तथा पौराणिक परम्पराओं की विराट झलक देखने को मिलेगीं।
इस अवसर पर एनजेडसीसी पटियाला के निदेशक प्रो0 सौभाग्य वर्धन ने कहा कि प्राचीन लोक सांस्कृतिक विरासत को उसके मौलिक स्वरूप में लोगों तक पहुचाने, समवर्धन प्रचार व प्रसार के अतिरिक्त विलुप्त हो रही परम्पराओं को पुर्नजिवित करने के लिए उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला निरन्तर प्रयासरत है। उन्होंने 5 दिवसीय जनजातिय उत्सव के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि 25 मार्च से 29 मार्च तक लूहणू के मैदान में जनजातिय उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस जनजातिय महोत्सव में तेलंगाना, मघ्यप्रदेश, जम्मू व कश्मीर, ओडिशा, त्रिपुरा, गुजरात, छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश इत्यादि राज्यों के लोक कलाकार अपने-अपने राज्य की सतरंगी जनजातिय लोक संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरेगे।
उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है कि जब हिमाचल प्रदेश में जनजातिय उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में प्रदेश में नार्थ ईस्ट समारोह का आयोजन भी करवाया जाएगा जिसमें लगभग 350 से भी अधिक लोक कलाकार अपने-अपने राज्य लोक संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे तथा 50 से भी अधिक हस्तनिर्मित वस्तुएं के स्टाॅल स्थापित किए जाएंगे जिसमें कलाकार अपनी कारीगिरी भी दिखाएंगे। उन्होंने इस अवसर पर नार्थ जोन कल्चर सैंटर द्वारा चलाई जा रही गुरू-शिष्या परंम्परा, डाकुमैंटरी इत्यादि योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा आहवान किया कि लोक कलाकार अपनी कला के प्रचार-प्रसार व समवर्धन के लिए नार्थ जोन कल्चर सैंटर से जुड़कर पारंपरिक लोक कलाओं को अगली पीढ़ी तक मौलिक स्वरूप में पहुचांने के लिए बहुमुल्य सहयोग प्रदान करें।