डाक्टर तो हैं पर ईलाज की व्यवस्था नहीं
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
यहाँ जिला अस्पताल में डाक्टर तो हैं पर इलाज नहीं | इसका ताजा उदाहरण उस समय मिला जब जुखाला क्षेत्र के गाँव करोट का निवासी राजेशकुमार अचानक गिर जाने से टांग में हुए फ्रेक्चर का इलाज करवाने अस्पताल में पहुंचा |
राजेशकुमार ने पत्रकारों को बताया कि वह पिछले दस दिनों से अस्पताल के हड्डी रोग वार्ड में कमरा नंबर 25 के बिस्तर नंबर 7 पर दाखिल है , लेकिन इस दौरान उनकी टांग में न तो कोई पट्टी ही बांधी गई और न ही कोई आपरेशन आदि करके उनका ईलाज ही किया गया और वे निरंतर भारी पीड़ा में बिस्तर पर लेटा अपने उपयुक्त ईलाज की प्रतीक्षा कर रहा है | उसने कहा कि अस्पताल में हड्डी रोग के दो डाक्टर तो हैं लेकिन डाक्टर के अनुसार आपरेशन थियेटर में आपरेशन करने वाली उपयुक्त मशीन नहीं है, जिस कारण वे उसकी टांग का ईलाज नहीं कर पा रहे हैं | डाक्टर बिस्तर छोडने और घर चले जाने का दवाव बना रहे है और कह रहे हैं कि अन्यथा जबरदस्ती खाली करवाना पड़ेगा | राजेश ने कहा कि उसने अपना सरकार के आयुष्मान योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्ड भी बनवाया है और उस केंद्र सरकार की योजना के अनुसार उसका पाँच लाख तक का ईलाज मुफ्त होना है | जबकि मेरी माँ और बहिन अपना सारा घर का काम काज छोड़ कर मेरे ईलाज की प्रतीक्षा में अस्पताल में मेरी देख -भाल करने में भारी पेरेशानियों और धन व्यय का सामना कर रहीं है | उनके दवारा मुझे दूसरी जगह पर ईलाज के लिए ले जाना अति कठिन है क्यूंकि मुझे अन्यत्र ले जाने के लिए उठाना पड़ेगा जो उनके के लिए संभव नहीं है |
राजेश कुमार ने स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि बिलासपुर अस्पताल में हड्डी के टूट जाने पर आपरेशन के लिए प्रयोग की जाने वाली उपयुक्त मशीन का तुरंत प्रबंध करने के आदेश दें ताकि बिलासपुर में प्राय हर रोज दर्जनों ऐसे मारीजों का ईलाज संभव हो सके अन्यथा दो –दो डाक्टर तैनात करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है | उन्होने कहा कि अब प्राय हर मरीज को अन्यत्र दूसरे अस्पतालों आई जी एम सी और पी जी आई आदि को रेफर किया जा रहा है जिस कारण निर्धन व्यक्तियों को अपना ईलाज करवाना असंभव हो रहा है और बिलासपुर अस्पताल मात्र रेफरल अस्पताल बन कर रह गया है |