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बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापित सभी सरकारों से खफा

Byjanadmin

Apr 22, 2019

कहा उनका पुनर्वास तो अलग रह देवताओं का पुनर्वास भी नहीं कर पाई कोई भी सरकार

जनवकता डेस्क, बिलासपुर
सर्वदलीय भाखड़ा विस्थापित समिति ने इस बात पर भारी रोष व्यक्त किया है कि जिस प्रकार भाखड़ा विस्थापित अपने उजड़ने के साठ वर्ष बीत जाने पर भी अभी तक पुनर्वास न हो पाने के साथ-साथ 13 शताब्दी पुराने बिलासपुर नगर के देवी- देवता भी उन्हीं की तरह उजड़ने का दंश झेल रहे हैं और हिमाचल प्रदेश में अभी तक आई इतनी सरकारों मे से एक भी सरकार विस्थापितों के देवी- देवतों का पुनर्वास नहीं कर पाई है ,हालांकि इस संदर्भ में कितनी ही बार मुख्यमंत्री स्तरों पर विस्थापितों को झांसे व दिलासे दिये जाते रहे हैं | यहाँ विश्व कर्मा मंदिर में आयोजित बैठक के प्रस्तावों की प्रतियाँ पत्रकारों को प्रसारित करते हुए समिति के महामंत्री जयकुमार ने कहा कि सरकार ने उनकी सारे की सारी शताब्दियों पुरानी पुस्तेनी संपातियों का , उनकी राय के बिना ही , पड़ोसी राज्यों के विकास –प्रगति के हित में अधिग्रहण कर लिया और उसके बदले में उन्हें पुनर्वास के नाम पर हर परिवार को मात्र 1800 वर्ग फुट का एक प्लाट देकर , उनके पुनर्वास के नाम पर अपना पल्लू पूरी तरह से झाड लिया और उनकी मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को बचाने व सुरक्षित करने तथा उन्हें विस्थापितों के लिए बनाए गए नए बिलासपुर नगर में पुंर्स्थापन के लिए कोई भी सकारात्मक व प्रभावी कदम नहीं उठाए | पिछले कोई बीस वर्षों से केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग और हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग के बीच फ़ाईलो का आदान –प्रदान और नए नगर में इन्हें पुंर्स्थापन के नाम पर प्राय: हर वर्ष पहाड़ों में परिवारों सहित सैर –सपाटा करने के लिए लाखों रुपयों का टीए डीए बनाया जाता रहा है और योजना धरातल पर आज तक नहीं उतर पाई है |
समिति ने इस सारी स्थिति पर भारी रोष व आक्रोश व्यक्त करते हुए सरकार से मांग की है कि टालमटोल की नीति त्याग कर इन मंदिरों को नए नगर में स्थापित करने के लिए उपयुक्त अथवा प्रभावी कदम उठाए जाएँ ,ताकि शताब्दियों पुरानी सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहरों को लाखों लोगों के इन श्रद्धा केन्द्रों को मान –सम्मान व उपयुक्त स्थल मिल सके |

अन्य प्रस्तावों में समिति ने सरकार से मांग की है कि बिलासपुर नगर के सर्वाधिक आय वाले धौलरा बाबा नाहर सिंह मंदिर को सरकार अपने पूर्व निर्णय अनुसार पुन: लक्ष्मी नारायण मंदिर ट्रस्ट के अधीन लाया जाये जबकि लक्ष्मीनारायण ट्रस्ट दवारा लक्ष्मी नारायण मंदिर को अपने अधीन लिये जाने के बाद से अब तक की आय –व्यय का पूर्ण विवरण जनता की जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाये | इस ट्रस्ट के विषय में राज्य भाषा व संस्कृति विभाग द्वारा करवाए गए आडिट रिपोर्ट की आपतियों के अनुसार सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सूचना भी नागरिकों को उपलब्ध कारवाई जाये तथा इसी मंदिर के प्रांगण में अधूरे पड़े श्री रंगनाथ मंदिर के निर्माण कार्य को तुरंत सम्पन्न करवा कर उसमें शताब्दियों पुरानी भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों को पुंनर्स्थापित किया जाये

समिति की अगली बैठक विश्वकर्मा मंदिर में ही 26 मई को शाम पाँच बजे आयोजित करने का निर्णय लिया |बैठक में अन्यों के अतिरिक्त सुनील खान, अमरसिंह कोंडल , नन्द लाल कोंडल , कृष्णा चौहान , रामसिंह ,प्रताप सिंह भल्ला , रसीद अहमद , अधिवक्ता अमृत लाल नड्डा , जगदीश नड्डा , ओंकार दास कौशल ,डाक्टर उपेंद्र गौतम , आर के शर्मा , रछपाल सिंह , राज टाडू , कुलदीप सिंह , मदन लाल , रमेश कुमार , देवी राम वर्मा , मोहिंदर कुमार शर्मा , लेखराम , ओंकार कपिल , कांशी राम चौधरी, पुरुषोतम शर्मा , बी एन शर्मा , राम भरोसा और कृष्ण कुमार आदि ने भाग लिया|

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