झूठे वादे नेताओं के लिए बन रहे हैं परेशानी का सबब
जनवक्ता डेस्क, बिलासपुर
सारे भारत भर में हो रहे संसदीय चुनावों में जहां सत्ताधारी भाजपा के बड़े बड़े नेता प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक और हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से लेकर पार्टी के अध्यक्ष सतपाल सत्ती तक पूर्ण रूप से युवाओं ,किसानों , बेरोजगारों , कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों और पेंशनर्ज की समस्याओं को गौण मान कर केवलमात्र अन्य काल्पनिक और दोनों ही मुख्य दलों के लिए महत्वपूर्ण समान नीति वाली समस्याओं पर “शेडो बाक्सिंग “ ( छाया मुक्केबाज़ी ) करते दिख रहे हैं , जबकि सभी जानते हैं कि लाख आरोप लगाने पर भी एक दल दूसरे को न तो आतंकवादी समर्थक ही प्रमाणित कर सकता है और न ही एक दल दूसरे को राष्ट्र विरोधी या सैनिकों के बलिदानों का अपमान करने वाला ही प्रमाणित कर सकता है |
यहाँ कुछ बुद्धिजीवियों से किए गए विचार विमर्श से यही निष्कर्ष निकलता है कि आरोपों के मामले में न तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने ही कोई कसर छोड़ी है और न ही राहुल गांधी व उनके युवा ब्रिगेड ने ही इस मामले में पीछे रहना स्वीकार किया है और भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेता आरोपों की व्यर्थ की होड किए जा रहे हैं , जिनका चुनाव के बाद खट्टास ,वेमनस्य और शत्रुता में ही परिणाम निकलेगा |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि जहां एक ओर देश की एकता व अखंडता के लिए तथा उग्रवादियों की गोलियों का शिकार बनते हुए राहुल गांधी के परिवार के दो दो सदस्यों के बलिदानों को भुला कर और मोदी द्वारा उसी परिवार को राष्ट्रवाद का विरोधी और आतंकवाद का समर्थक बताने के आरोप जनता में हास्यास्पद बन रहे हैं वहीं किसी प्रमाण के बिना राहुल गांधी और उनके साथियों द्वारा “ चोकीदार चोर है “ के नाम से प्रधान मंत्री पर किए जा रहे अप्रत्यक्ष प्रहार भी आवांछनीय और सत्यता से परे हैं |
उधर कुछ पर्यवेक्षक भाजपा नेताओं के इस आरोप पर भी खिल्ली उड़ाने से नहीं चूक रहे हैं ,जिनमें कांग्रेस पार्टी पर झूठे वादे और लोगों को मूर्ख बनाने के आरोप लगाए जा रहे हैं | पर्यवेक्षकों का कहना है कि आश्चर्य है कि जो भाजपा पिछले संसदीय चुनाव में वर्ष 2014 में हर परिवार को विदेशों से काला धन भारत में लाकर 15-15 लाख रुपए की राशि और बेरोजगार युवाओं को हर वर्ष दो करोड़ नौकरियाँ उपलब्ध करवाने जैसे नितांत झूठे और अकल्पनीय वादे करके सत्ता में आने के बाद भी इन मे से कुछ भी नहीं कर पाई है , उसी पार्टी के नेता अब अपने विरोधियों पर किस मुंह से झूठे वादे करने के आरोप लगा रहे हैं |
उनका यह भी कहना है कि यह सत्य है कि यदि 543 सदस्यों की संसद में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा विजयी होती है ( सर्वेक्षणों के आधार पर जो अब असंभव बताया जा रहा है ) तो यह भी स्पष्ट नहीं है कि भाजपा का नेता और अगला प्रधान मंत्री कौन होगा एकदम अनुचित और अव्यवहारिक है , क्यूँ कि यह प्रश्न तो केवलमात्र भाजपा का बहुमत आने के बाद ही चुनाव के बाद पैदा होगा | क्यूँ कि यदि भाजपा का बहुमत नहीं आया और अन्य सहयोगी दलों के बलबूते भाजपा सरकार की संभावना बनी तो प्रधान मंत्री के व्यक्तित्व का निर्णय बहुत कुछ सहयोगी दलों की राय पर बनेगा , जो केंद्र में सत्ता की कुर्सी पर उसे बिताने को प्रस्तुत होंगे |
पर्यवेक्षक कहते हैं कि यह सही है कि इस चुनाव में भाजपा और विपक्षी दल अपनी अपनी विजय बढ़ चढ़ कर घोषित कर रहे हैं , जबकि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और कांग्रेस के राज्य प्रधान कुलदीप सिंह राठौर अपने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिये ” हम चारों की चारों सीटें जीत रहे हैं ” के दावे कर रहे हैं किन्तु इस समय तक दोनों ही दलों के दावों में पर्यवेक्षकों को कोई दम नहीं दिख रहा है |