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मुख्यमंत्री के पास सुखराम परिवार को कोसने के सिवा उपलब्धियों के नाम पर बताने को कुछ नहीं

Byjanadmin

Apr 30, 2019

सुखराम और उनके परिवार तथा “ आया राम –गया राम “ के विषयों पर ही भाषणों को केन्द्रित किए बैठे हैं

रामसिंह, राजनीतिक संवाददाता जनवक्ता बिलासपु
पिछले पाँच वर्षों में मंडी संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार राम स्वरूप शर्मा के नाम पर कोई भी उपलब्धियां गिनाने योग्य नहीं होने के कारण और स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रदेश में एक मुख्यमंत्री के रूप में कार्यप्रणाली संदेहास्पद तथा प्रश्नवाचक चिन्हों से घिरी रहने के कारण मुख्यमंत्री के पास इस चुनाव में अपनी चुनावी रेलियों व जन सभाओं में जनता को बताने व लुभाने के लिए कुछ भी नहीं है | इसलिए वे प्रत्येक जन सभा में केवल मात्र सुखराम और उनके परिवार तथा “ आया राम –गया राम “ के विषयों पर ही अपने भाषणों को केन्द्रित किए बैठे हैं |
घटनाक्रमों पर नजर रखने वाले कितने ही पर्यवेक्षकों द्वारा मंडी सीट का चुनावी सर्वेक्षण करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सुखराम ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दिन की चैन और रात की नींद हराम करके रखी है और अपनी साख बचाने के लिए वे अब बार- बार सुखराम परिवार पर बहुत ही निराशा – हताशा में व्यक्तिगत हमले करने से भी नहीं चूक रहे हैं | इन पर्यवेक्षकों मेसे कुछ का कहना था कि अपने परिवार की चिंता किसे नहीं होती और कौन सा एसा नपुंसक राजनेता है जो अपने पुत्रों और पौत्रों को आगे बढ़ता हुआ देखना नहीं चाहेगा और भाजपा के अधिकांश नेता इस विषय पर ही तो अमल करते आ रहे हैं | जिनमें मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री धूमल और जयराम ठाकुर के अपने मंडी जिले के वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह का नाम लिया जा सकता है |
पर्यवेक्षक मानते हैं कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अपने भाषणों में मोदी व अमित शाह के तर्ज पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों पर वाक्यवाण फेंकने से पहले अपनी पार्टी के पलंग के नीचे झाड़ू लगा कर देख लेना चाहिए , कि उसके नीचे कितनी गंदगी पड़ी है और मोदी व अमित शाह ने कांग्रेस , सपा और बसपा तथा अन्य विरोधी पार्टियों द्वारा टिकट के लिए इंकार कर दिये जाने या फिर पार्टी से निकाल देने पर , अपनी रैलियों में हार पहना कर दर्जनों ऐसे “ आया रामों –गया रामों “ को भाजपा का टिकट देकर उम्मीदवार बनाया है | जबकि इससे पहले तीन राज्यों में चुनाव हार जाने के बावजूद “ आया रामों –गया रामों “ को अपनी पार्टी में गोआ और पुंडुचूरी में शामिल करके सरकारें बनाई है | फिर भला सुखराम ने ही कौन सा ऐसा राजनैतिक अपराध कर दिया है , जिसका जयराम हर रोज होहल्ला कर रहे हैं | एक पर्यवेक्षक ने तो यहाँ तक कहा कि लगता है कि मुख्यमंत्री पर प्रधान मंत्री की अहंकारवादी और अहंमवादी नीति तथा वाणी हावी हो गई है , जो उन्हें हर किसी के विरुद्ध कुछ भी कहने – बोलने के लिए विवश किए हुए है और इस प्रवाह में वे यह विचार करने के लिए भी नहीं रुकते कि आखिर वे कह क्या रहे हैं ,जो वास्तव में उनकी अपनी पार्टी के विरुद्ध ही जनता में संदेश छोड़ रही है |
पर्यवेक्षकों का मानना है कि सुखराम और उनके परिवार को कोसते रहने मात्र से ही अथवा मोदी व शाह की प्रशंसा के पुल बांधने मात्र से हिमाचल प्रदेश में भाजपा की नेय्या पार होने वाली नहीं है | क्यूँ कि राष्ट्रवाद और सर्जिकल स्ट्राईक के मुद्दे भी लोगों को इसलिए प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं, क्यूँ कि कांग्रेस पार्टी में भी भाजपा के किसी नेता से कम राष्ट्रवादी नहीं है और सर्जिकल स्ट्राईके कांग्रेस राज में भी दर्जनों बार हो चुकी हैं | किन्तु उन सभी कांग्रेस सरकारों ने सेना के इन पराक्रमों और बलिदानों को अपनी पार्टी के स्वार्थ के लिए कभी भी दुरुपयोग नहीं किया , हालांकि देश के इतिहास में यह प्रथम बार था कि मोदी सरकार की नालायकी के कारण 40 निरपराध जवानों को बलिदान होना पड़ा , जिसके उत्तरदायित्व से मोदी सरकार कभी भी बच नहीं सकती है |

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